Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
सूत्र
भावार्थ
- पंचांग विवाह पण्णति ( भगवती ) सूत्र 4884
या वरं जोइसिय द्वितिं संवेहं च जाणेज्जा ॥ सेसं तहेव णिश्वसेसं ॥
सेवं भंते ! भंतेत्ति ॥ चउवीसइम सयस्स तेवीसमो उद्देसो सम्मत्तो ॥ २४॥ २३ ॥ सोहम्मग देवाणं भंते ! कओहिंतो उववज्जति किं णेरइएहिंतो भेदो जहा जोइसिय उद्देसए, असंखेज्जवासाउय सष्णिपंचिदिय तिरिक्ख जोणिएणं भंते! जे भविए सोहम्मंग देवसु उववजित्तए सेणं भंते ! केवइकाल ? गोयमा ! जहण्णेणं पलिओव मट्ठिईएस उववज्जेज्जा, उक्कोसेणं तिष्णिपलिओवमट्ठिईएस उववज्जेज्जा !! तेणं भंते! अवसेसं जहा जोइसिएस उववजमाणस्स णवरं सम्मद्दिट्ठीवि मिच्छदिट्ठीवि णो
बैसे ही विशेषता रहित कहना. अहो भगवन् ! आपके वचन सत्य हैं. यह चौबीसवा शतक का तेवीसवा उद्देशा संपूर्ण हुवा || २४ ॥ २३ ॥
•
०
अहो भगवन् ! सौधर्म देवलोक में कहां से उत्पन्न होते हैं क्या नारकी में में वगैरह उद्देशे जैसे कहना. अहो भगवन् !
असंख्यात वर्ष के आयुष्यवाले संज्ञी तिर्येच पंचेन्द्रिय सौधर्म देवलोक में उत्पन्न होने योग्य होता है वह वहां कितनी स्थिति से उत्पन्न होवे ? अहो गौतम ! जघन्य एक पिल्योपम उत्कृष्ट तीन पल्योपम की स्थिति से उत्पन्न होवे. [ युगलियों का आयुष्य इतना ही होने के ||
०
भेद ज्योतिषी |
44- चौवीसवा शतक का चौवीसना उद्देशा 438+
२६७९