Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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पणनि ( भगवती ) सूत्र Net 48+ पंचमांगविवाह
जो अणंताओ ॥ ३० ॥ अलोगागास सेढीओणं भंते ! पदेसट्टयाए पुच्छा ? गोयमा! सिय संखजाओ सिय असंखेजाओ सिय अणेताओ ॥ पादीण पदीणायताओणं अलोया पुच्छा ? गोयमा! णो संखेजाओ णो असंखेबाओ अणंताओ॥ एवं दाहिणुत्तरायताओ ॥ उड्डमहायताओ पुच्छा ? गोयमा ! सिय संखेजाओ सिय असं. खेज्जाओ, सिय अणंताओ ॥ ३१ ॥ सेढीओणं भंते ! किं सादीयाओ सपजवासयाओ, सादीयाओ अपजवसियाओ, अणाइयाओ सपजवसियाओ, अणाइयाओ
अपजवसियाओ ? गोयमा ! णो सादीयाओ सपज्जवसियाओ, णो सादीणओ अपज्जउत्तर दक्षिण का मानना. ऊर्ध्व अधोकी संख्यात व अनंत नहीं है परंतु असंख्यात श्रेणी हैं. ॥३०॥ अलोका काश की श्रेणियों की प्रदेश आश्री पृच्छा ? स्यात संख्यात स्यात असंख्यात व स्यात अनंबर अलोक में पूर्व पश्चिम की श्रेणियों की पृच्छा ? अहो गौतम ! संख्यात व असंख्यात नहीं परंतु अनंत हैं.14 ऐसे ही दक्षिण उत्तर का जानना. ऊर्ध्व अधोकी पृच्छा ? स्यात संख्यात, स्यात असंख्यात व स्यात अनंत ॥ ३१॥ अहो भगवन् ! श्रेणियों क्या सादि सपयवासित, मादि अपर्यवलित, अनादि सपर्यवसित । क अनादि अपर्यवसित हैं ?. अहो. गौतम ! सादि सपर्यवसित -- सादि । अपर्यवसित .
पचीसवा शतक का तीसरा उद्देशा 4.88+
भावार्थ