Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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4. अनुवादक-पालनमचारी मुनि श्री अमोलक अपिजी
'पडीणार्यताओ, दाहिणुत्तरायंताओवि ॥ उड्डमहायताणं पुष्छा ! गोयमा ! कडंजुम्मा
ओ, जो तेयोगाओ, णो दावरजुम्माओ, णो कलिओगाओ ॥ ३६॥ अलोगागास १. सेढीओणं भंते ! पदेसट्टयाए पुच्छा ? गोयमा ! सिय कडजुम्माओ जाब सिय कलि.
ओगाओ, एवं पादीणपदीणाययाओविः एवं दाहिणुत्तरायताओवि, उड्डमहायताओवि र एवं चेव, णवर णो कलिओगाओ, सेसं तंचेव ॥ ३७॥ कइशं भंते ! सेढीओ
पण्णचाओ ? गोयमा ! सत्तसेढीओ पण्णत्ताओ, तंजहा उजुआयता, एगओवंका,
दुहओवका, एगओखहा, दुहओखहा, चक्कओवाला, अडचक्कवाला, ॥ ३८ ॥ आश्री क्या कृत युग्म वगैरह पृच्छा ? अहो गौतम ! स्यात कृत युग्म व स्यात द्वापर युग्म हैं परंतु त्रेता, कलियुग्म नहीं है. ऐसे ही पूर्व पश्चिम व उत्तर दक्षिण का मानना. ऊर्ध्व अधो की पृच्छा ? कृत युग्म है परंतु त्रेता, द्वापर व कलियुग्म नहीं है. ॥ ३६ ॥ अलोकाकाशकी श्रेणियों की प्रदेश आश्री पृच्छा ? अहो गौतम ! स्यात कृत युग्म यावत् स्यात कलियुग्म ऐसे ही पूर्व पश्चिम व उत्तर दक्षिण का जानना. ऊर्ध्वअधों का भी वैसे ही कहना परंतु कलियुग्म नहीं. ॥ ३७ ॥ अहो भगवन् ! श्रेणियों कितनी कहीं ? अहो मौतम ! श्रेणियों सात कही जिन के नाम ? ऋजु [ सरल ] आयात २ एक दिशा में वक्र ३ दोनों
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*प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायनी ज्वालाप्रसादजी*
भावार्थ
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