Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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| जाव कलिओगा ? गोयमा! उववायं पडुच्च से तेण?णं तंचेव ॥ वेईदियाणं जहा
णेरइयाणं, एवं जाव वेमाणियाणं ॥ सिद्धाणं जहा वणस्सइ काइयाणं ॥ २ ॥ कइविहाणं भंते ! सव्वदव्वा पण्णत्ता ? गोयमा ! छविहा सव्वदव्या पण्णत्ता, तंजहा धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए जाव अद्धासमए ॥ ३ ॥ धम्मत्थिकाएणं भंते ! दवट्ठयाए किं कडर्जुम्मे जाव कलिओए ? गोयमा ! णो.
कडजुम्मे, जो तेयोगे, णो दावरजुम्मे, कलिओगे ॥ एवं अहम्मत्थिकाएवि ।। एवं भावार्थ Eबेइन्द्रिय से वैमानिक पर्यंत नारकी जैसे कहना. सिद्ध का वनस्पतिकाया जैसे कहना ॥२॥ अहो
भगवन् ! कितने प्रकार के सर्व द्रव्य कहे हैं ? अहो गौतम ! छ प्रकार के सर्व द्रव्य कहे हैं. उन के नाम. १. धर्मास्तिकाय, २ अधर्मास्तिकाय ३ आकाशास्तिकाय ४ जीवास्तिकाय ५ पुद्गलास्तिकाय और १६. कालः ॥ ३ ॥ अहो भगवन् ! द्रव्य से धर्मस्तिकाय क्या कृतयुग्म यावत् कलि युग्म है ? अहो गौतम : द्रव्य से धर्मास्तिकाया कृतयुग्म, त्रेता क द्वापर नहीं है परंतु कलि युग्म है. ऐसे ही अधर्मास्तिकाय व आकाशास्तिकाया का जानना.. [ ये तीनों द्वव्य से एक होने से ] जीवास्तिकाया की पृच्छा, महो मौतफ ! द्रव्य से जीवास्तिकाया कृत युग्म है परंतु त्रेता, द्वापर व कलियुग्म नहीं है. जीव द्रव्य अनंब व
मुनि श्री अमोलक ऋपिजी +
• प्रकाशक-राजबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी.