Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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१ अनुवादक-पालनमचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
पदेसिया खंधा एगपदेसोगाढाणं भंते! पोग्गला किं संख जो असंखज्जा अणंताएवंचे।
एवं जाव असंखेजपदेसोगाढा ॥ एग समयः छिईयाणं भंते ! पोग्गला-किं संखेजा * एवं चेव ॥ एवं जाव असंखेज समय दिइया ॥ एगगुणकालगाणं भंते ! पोग्गला . किं संखजा एवंचे ॥ एवं जाव अणंतगुणकालगा ॥ एवं अवसेसा वण्णगंधरस
फासा यन्वा जाव अणंतगुण लुक्खत्ति ॥ १६ ॥ एएसिणं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं.
दुपदेसियाणय खंधाणय दवट्ठयाए कयरे कयरेहितो अप्पावा बहुयावा ? गोयमा ! दुपअनंत प्रदेश कंध पर्यंत कहना. अहो भगवन् ! एक प्रोशागाही पुरर क्या संख्यान ख्यात या अयंत्र हैं डा गौतम ! पहिल जैमे कहना. ऐसे ही अवरुपात प्रदेशावगाडी पुनर का जानना. अहो भगवन् ! एक ममय की स्थिति वाले पुद्गल क्या मख्यान अस्पात या अनंत हैं ? अहो गौनम ! वैसे
ही कहना. ऐसे ही अख्यात समय की स्थिति के पदों का जानना. अहो भावर ! एक गुण काला l बपुल क्या मख्यात असंख्यात या अनंत हैं ? अहो ग.तम ! वैसे ही कहग. ऐसे ही अनंत गुन काला
पुद्गल का मानना. ऐसे ही शेष चार वर्ण, दो गंध, पांच रम न आठ स्पर्श यावत् अनंत गुन कक्ष पर्यंत कहना ॥ १६ ॥ अहो भगवन् ! इन परमाणु पुद्गल द्विप्रदेशिक स्कंध में द्रव्य से कौन किस से अल्प
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.प्रकाश-राजावादुरलाला सुवदेवमहायज जगालापवादनी.