Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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42 अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषीजी+
तत्थणं जे से ओयपएसिए से जहण्णेणं पणयालीस पएसिए पणयालीसपएसोगाढ ५. उक्कोसेणं अणंतपएसिए तहेव ॥ तत्थणं जे से जुम्मपदेसिए से जहण्णेणं बारस पएंसिए बारसपएसोगाढे ५० उक्कोसेणं अणंत पएमिए तहेव ॥ ११ ॥ परिमंडलेणं भंते ! सट्ठाणे कइ पएसिए पुच्छा ? गोयमा ! परिमंडलेणं संठाणे दुविहे पण्णत्वे तंजहा घणपरिमंडलेय पयरपरिमंडलेय ॥ तत्यणं जे से पयरपरिमंडले से जहण्णेणं वीसइपएसिए वीसइपएसोगाढे, उक्कोसेणं अणंतपएसिए तहेव, तत्थणं जे से घण
परिमंडले से जहण्णेणं चत्तालीस पएसिए चत्तालीस पएसोगाढे उक्कोसेणं अणंत के दोभेद ओज प्रदेशिक व युग्म प्रदेशिक जो ओज प्रदेशिक हैं वह जघन्य पैंतालीस प्रदेशिक व पैंतालीस प्रदेशावगाही है उत्कृष्ट अनंत प्रदेशिक. असंख्यात प्रदेशावगाही युग्म प्रदेशिक जघन्य बारह प्रदेशिक बारह प्रदेशावगाही उत्कृष्ट अनंत प्रदेशिक असंख्यात प्रदेशावगाही॥१॥अहो भगवन्! परिमंडल संस्थानके कितने भेद कहे हैं ? अहो गौतम ! परिमंडल संस्थान के दो भेद घन परिमंडल और प्रतर परिमंडल. इस में मतर परिमंडल जघन्य वीस प्रदेशिक व बीस प्रदेशावगाही उत्कृष्ट अनंत प्रदेशिक असंख्यात प्रदेशावगाही. घन परिमंडल जघन्य चालीस प्रदेशिक चालीस प्रदेशावगाही उत्कृष्ट अनंत प्रदेशिक असंख्यात प्रदेशाव
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी .
भावार्थ