Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) सत्र 2018
पएसोगाढावि, विहाणादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढावि, तेओगपएसोगाढावि, . दावर जुम्म पएसोगाढावि, जो कलिओग पएसोगाढा, चउरंसा जहा वहा ॥ २२ ॥ आययाणं भंते ! सट्टाणा पुच्छा ? गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्म पएसोगाढा णो तेओग पएसोगाढा, णो दावर जम्म पएसोगाढा. णो कलिओग पएसोगाढा ॥ विहाणादेसेणं कडजुम्म पएसोगाढावि जाव कलिओगपएसोगाढावि ॥ २२ ॥ परिमंडलाणं भंते ! संट्ठाणे किं कडजुम्म समय ठिईए, तेओग
समयठिईए, दावरजुम्म समयठिईए, कलिओग समयठिईए ? गोयमा ! सिय कड. प्रदेशावगाही, त्रेता प्रदेशावगाही व द्वापर प्रदेशावमाही हैं. परंतु कलि युग्म प्रदेशावगाही नहीं है. चउरंस E का वृत्त जैसे कहना ॥ २२ ॥ अहो भगवन ! आयतन संस्थान की पृच्छा ? अहो गौतम ! औधिक से
कृतयुग्म प्रदेशावगाहा है. परंतु त्रेता, द्वापर व कलियुग्म प्रदेशावगाही नहीं है. विधानादेश से कृतयुग्म प्रदेशावगाही यावत् कलियुग्म प्रदेशागाही है ॥ २२ ॥ अहो भगवन् ! परिमंडल संस्थान क्या कृतयुग्म ममयकी स्थितिवाले हैं त्रेता समयकी स्थितिवाले, द्वापरयुग्मके समयकी स्थितिवाले या कलि युग्मसमयकी स्थिति वाले हैं? अहो गौतम ! स्यात् कृतयुग्म समय की स्थितिवाले यावत् स्यात् कलि खुम समयकी समय की।
802 पच्चीसवा सतंकका तीसरा उद्देशा
भावार्थ
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