Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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2012
पलिओषमाइं, सेसं तंचेव ॥ कालादे सेणं जहण्णेणं छप्पलिआवमाई, उकासेणविं छप्पलिओवमाइं एवइयं कालं जाव ॥ ३ ॥ सोचेव अप्पणा जहण्ण कालाईईओ जाओ जहण्णेणं पलिओवमट्टिईएसु उक्कोसेणवि पलिओवमट्टिईएस एसचेव वत्तव्वया, णवरं ओगाहणा जहणणं धणुहपुहुत्तं उक्कोसणं दो गाउयाई, द्विई जहण्णेणं पलि. ओवम उक्कोसेणवि पलिओवमं सेसं तहेव कालादेसेणं जहण्णेणं दो पलिओवमाई उकासेवि दो पलिओवमाइं एवइयं॥४॥सोचेव अप्पणा उक्कोसकालट्टिईओ जाओ आदिल्लगमगसरिसा तिण्णिगमगा गेयव्वा, णवरं ट्ठिति कालादेसंच जाणेजा ॥ ५ ॥ जह
संखेजवासाउय सण्णिपंचिंदिय संखेजवासाउयस्स जहेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स six परंतु स्थिति जघन्य उत्कृष्ट तीन पल्योपय की कहना. कालादेश से जघन्य उत्कृष्ट छ पल्योपम कहना..
इतना यावत् करे ॥ ३ ॥ वही जघन्य स्थितियाला जघन्य उत्कृष्ट पल्योपम की स्थिति में उत्पन्न हो
परंतु अवगाहना जघन्य प्रत्येक धनुष्य उत्कृष्ट दो गाउ. स्थिति जघन्य उत्कृष्ट एक पल्योपम. कालादेशसे of जघन्य उत्कृष्ट दो पल्योपम. शेष पूर्ववत् ॥ ४ ॥ वही उत्कृष्ट स्थितिवाला उत्पन्न हुवा पहिले के तीन
गमा सरिखे तीन गमा कहना, परंतु स्थिति व कालादेश से उत्कृष्ट जानना ॥५॥ यदि संख्यात वर्ष के
पंचमान ववाह पण्णत्ति (भगवती) भूत्र
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03-28 चौबीसवा शतक का चौवीसका उद्देशा 988
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