Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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पंचमान विवाह पण्णाचे (भगवती) सूत्र
देवाणं भंते ! कओहिंतो उववज्जति, उववातो जहा सक्करप्पभा पुढवी जेरइयाणं जाव पजत्त संखेज वासाउय सण्णि पंचिंदिय तिरिक्ख जोणिएणं भंते ! जे भविए सणंकुमार देवेसु उववाजत्तए अवसेसा परिमाणादीया भवादेस पजवसाणा सव्वेव वत्तव्वया भाणियव्वा, जहा सोहम्मे उववजमाणस्स, णवर सणंकुमारट्ठिति संवेहच जाणेजा ॥ जाहेयं अप्पणा जहण्ण कालट्ठिईओ भवइ,ताहे तिसु गमएस पंचलेस्साओ आदिल्लाओ कायवाओ, सेसं तंचव ॥ जइ मणुस्सहिंतो उववजंति, मणुस्साणं जहेब सक्करप्पभाए उववज्जमाणाणं तहेत्र णवीव गमा णवर सणंकुमारट्रिति संवेहंच
जाणेजा ॥ १० ॥ माहिंद्रग देवाणं भंते ! कओहिंतो उबवजंति जहा सणंकुमार जानना ॥ २ ॥ अहो भगवन् ! सनत्कुमार में कहां से उत्पन्न होते हैं ? अहो गौतम ! जैसे शर्करमभा. नारकी में उपपात कहा वैसे ही कहना यावत् पर्याप्त संख्यात वर्षवाले संज्ञी तिर्यंच पंचेन्द्रिय सनत्कुमार में उत्पन होने योग्य होने वगैरह परिमाणादिक, भवादेश पर्यंत सब वक्तव्यता सोधर्म देवलोक में उत्पन्न । होने जैसे कहना. परंतु स्थिति व संबंध सनत्कुमार का जानना. जब जघन्य स्थितिवाले उत्पन्न होते हैं. तब उस के तीनों ममा में पहिली पांच लेश्याओं कही. यदि मनुष्य में से उत्पन्न हो तो परमभा में
चौवीसवा शतक का चौबीमया उद्देशा
भावार्थ
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