Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
भावार्थ
पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) मूत्र
पुढवीकाइ लडी जहा असुरकुमाराणं णवर एगा तेउलेस्सा पण्णत्ता, तिष्णि जाणा तिष्णि अण्णाणा नियमं ॥ ट्ठई जहणेणं अट्ठभाग पलिओवमं, उक्कोसेणं पलिओत्रमं वाससयसहस्स मब्भहियं; एवं अणुबंधोवि, कालादेसेणं जहणणं अट्ठभाग पलिओ मं अंतोमुहुत्तमब्भहियं उक्कोसेणं पलिओयमं वास्स्यसहस्सेणं, बाबीसाए वाससहस्से हिं अब्भहियं एवइयं ॥ एवं से सावि अट्टगमगा भाणियव्वा ॥ णवरं लिई कालादेसेणं च जाणंजा ॥ ३८ ॥ जइमाणिय देवेहिंतो उववजति किं कप्पोचवण्णग वैमाणियं कप्पातीत मणिहिंतो उववजंति ? गोयमा ! कप्पोचवण्णग वेमाणिय जाव उववज्जंति कप्पातीतगमाणिय जाव उववजंति ॥ जड़ कप्पोचवण्णग जाव उववजंति किं { जैसे कहना. परंतु एक तेजोलेश्या, तीन ज्ञान तीन अज्ञान की नियमा, स्थिति और अनुबंध जघन्य पल्योपम का आठवा भाग उत्कृष्ट एक पल्योपम और एक लाख वर्ष अधिक. कालादेश से जघन्य पल्यो पम का आठवा भाग और अंतर्मुहूर्त अधिक उत्कृष्ट एक पल्योपम एक लाख वर्ष ज्योतिषी आश्री और बावीस हजार वर्ष अधिक. ऐसे ही आठ गया कहना. परंतु स्थिति और कालादेश भिन्न कहना ||३८|| (याद वैमानिक में से उत्पन्न होवे तो क्या कल्पोत्पन्न में से उत्पन्न होवे या कल्पातीत में से उत्पन्न होवे ? अहो
40- चौवीसवा शतक का बारहवा उद्देश।
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