Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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4. अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
" जोइसियाणं भंते ! कओहिंतो उववज्जतिं किं णेरइय भेदो जाव सणिपंचिंदिय तिरिक्खजोणिएहितो उववजंति, णो असणिण पंचिंदिय तिरिक्ख ॥ जइ सण्णि पंचिंदिय किं संखेजवासाउय सणिपंचिंदिय तिरिवख, असंखेजबासाउय सण्णि पंचिंदिय तिरिक्ख ? गोयमा ! संखेजवासाउय सणिपंचिंदिय तिरिक्ख असंखेनवासाउय सणिपंचिंदिय तिरिवख जाणिएहितोवि उववज्जति ॥ १ ॥ असंखेजवासाउय सणिपंचिंदिय तिरिक्खजोणिएणं भंत ! जे भविए जोइसिए मु, उववजित्तए सेणं भंते ! केवइयकालदिईएसु उववज्जेज्जा ? गोथमा ! जहण्णेणं अट्ठभागपलिओवमट्ठि
अहो भगवन् ! ज्योतिषी कहां से उत्पन्न होते हैं क्या नारकी वगैरह भेद यावत् संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंच में मे उत्पन्न होते हैं, परंतु असंज्ञी तिर्यंच पंचेन्द्रियमें से नहीं उत्पन्न होते हैं यदि संज्ञी तियेच पंचेन्द्रिय में से उत्पन्न होते हैं नो क्या मख्यात वर्ष के आयुष्य वाल या असंख्यात वर्ष के आयुष्य वाले तिर्यंच पंचेन्द्रियों से उत्पन्न होवे? अहो गौतमः संख्यात व असंख्यात वर्ष के आयुष्य वाले तियेच पंचेन्द्रिय उत्पन्न होवे ॥ १ ॥ असंख्यात वर्ष के आयुष्य वाले संज्ञी तिर्यंच पंचेन्द्रिय ज्योतिषी में उत्पन्न होने वाले होते हैं वे कितनी स्थिति में उत्पन्न होवे ? अहो गौतम ! जघन्य एक पल्यापम का आठवा भाग उत्कृष्ट एकलाख वर्ष
प्रकाशक-राजविहादुर लाला मुखदेवसहायनी ज्वालाप्रसादजी *