Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
भावार्थ |
48+ पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) मूत्र +9+
जहेव असुरकुमारेसु उववजमाणस्स सव्वेव लडी णिरवसेसा णवसु गमएसु; णवरं नागकुमारट्ठतिं संवेहं च जाणेज्जा ॥ सेवं भंते ! २ति ॥ चउवी • तइओ ॥ ३ ॥
अवसेसो सुत्रष्णकुमारा जाव थणियकुमारा एतेवि अट्ठउद्देसगा जहेव नागकुमारार्ण तव णिरवसेसा भाणियव्वा सेवं भंते ! २ त्ति ॥ चउ • एक्कारसमो उ० स० ॥ २४ ॥ ११ ॥ पुढवीकाइयाणं भंते! कओहिंतो उववज्जंति किं णेरइएहिंतो तिरि-मणु-देवेहिंतो
42- चौवीसवे शतक के ४-११ उद्देशें 4
[गौतम ! जघन्य दश हजार वर्ष उत्कृष्ट देश उणा दो पल्योपम. ऐसे ही जैसे असुरकुमार में उत्पन्न होने अ {का कहा वैसे ही यहां पर नव गमाओं विशेषता रहित कहना. परंतु यहां नागकुमार की स्थिति व संबंध कहना. अहो भगवन् ! आपके वचन सत्य हैं. यह चौबीसा शतक का तीसरा उद्देशा संपूर्ण हुवा || २४ ॥ ३ ॥ जैसे तीसरे उद्देशे में नागकुमार की वक्तव्यता कही वैसे ही सुवर्ण कुमार यावत् स्तनित कुमार पर्यंत आठों जाति के भवनपति देव के आठ उद्देशे भिन्न २ विशेषता रहित कहना. अहो भगवन् ! आपके वचन सत्य हैं. यों चौवीसवे शतक के चौथे से अग्यारहवे तक आठ उद्देशे संपूर्ण हुवे ॥ २४ ॥ ४-५-६ }
७-८-१-१०-११ ॥
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अहो भगवन् ! पृथ्वी काया में कहाँ से उत्पन्न होवे क्या नारकी तिर्यंच, मनुष्य या देवमें से उत्पन्न होवे ? अहो गौतम!
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