Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
भावार्थ |
488+ पंचमांगविवाह पण्णति ( भगवती ) सूत्र++
एवं
वि एवं तिमुवि गमए ॥ द्विती संवेहो तइयछट्ठसत्तमट्ठ णत्र मे सु गमए ॥ भवादेसेणं जहणेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं अटू भवग्गहणाई सेसेसु सुगम जहणेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं असंखेजाइं भवग्गहणाई ॥ ततियगमए कालादेसेणं जहण्णेणं वावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमन्महियाई, उक्को सेणं सोलसुत्तर वाससयसहस्सं एवइयं कालं गतिरागर्ति करेजा ॥ ५ ॥ छट्ठे गमए कालादेसेणं जहण्णेणं वावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्त मन्भहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीति वाससहस्साइं चउहिं अंतोमुहुत्त मन्महियाई || ६ || सत्तमगमए कालादेसेणं जहणणं सत्तवास सहरसाई, अंतोमुहुत्त मन्भहियाई उक्कोसेणं सोलसुत्तर वासस्यनववा गमा में भवादेश से जघन्य दो भव उत्कृष्ट आठ भत्र शेष चार में जघन्य दो भव उत्कृष्ट असंख्यात भव. तीसरा गमा में कालादेश से जघन्य बावीस हजार वर्ष अंतर्मुहूर्त अधिक उत्कृष्ट एक लाख सोलह हजार वर्ष, छठा गमा में कालादेश से जघन्य बावीस हजार वर्ष और अंतर्मुहूर्त अधिक उत्कृष्ट अठासी हजार वर्ष और चार अंतर्मुहूर्त अधिक. सातवा गमा में कालादेश से जघन्य सात हजार वर्ष अंतर्मुहूर्त- अधिक उत्कृष्ट एक लाख सोलह हजार जिस में ८८००० वर्ष पृथ्वी के और २८००० वर्ष अपूकाया के इतना काल
चौबीस शतक का वारहवा उद्देशा
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