Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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पंचमांगविवाह पण्णति ( भगवती ) सूत्र <
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चुलसीतिहिय णो चुलसीतिएय समजिया ? गोयमा! - णेरइया चुलसीतिसमजि
यावि जाव चुलमतिहिय णां चल.सीतिहियसमजियावि' ॥ से केणट्रेणं भते ! एवं 'वुच्चद जाप समजियावि ? गं.यमा! जणं णेरइया चुलसीतिएण पवेमणएणं। पविमति तणं जग्गा चटनीतिसम जिया, जेणं णग्इया जहणणं एणवा दाहिंवा तिहिंवा उच। णि तेमीति पोसणएणं पविसांत तेणं जरइया णा चुलसीति समजिया, । जणं णेरइया चुलसीतिएणं अण्णणय जहणणं एणवा दोहिंवा तिहिंवा उपोसणं तसीतिएणं पवेसणएणं पविसंति तेणं गैरइया चुलसीतिएणय णो चुलसीतिएय सम• भगवन् ! क्या नारकी ! चौगी से सपार्जिन हैं. २ ना चौराती मे ममात है, ३ चौराभी नोई चौरामी ने ममाजि। हैं ४ वान चौराली से समाजन * या ५ बहुन चौगी बहुत नो चौरामी से 'समाजिन हैं ? असे गौतम ! भागकी में पांवा भांग पान हैं. अहो भगान् ! किन कारन स एंमा कहा गया यावत् नो चौर:स. सपाजन है ! ओ गीनप ! जो नारकी चौराती प्रशन से प्रवेश करते हैं. वे| नारकी चौगनी समाज में जा नारकी जघन्य एक, दो, तीन उत्कृष्ट नियामी तक प्रवेश करते हैं वे * नारकी नो चौरासी समानित हैं, जो नारकी चौरासी प्रवेशन से प्रवेश करते हैं और उपर जयम्य एक
बीमका शतक को दशका उद्देशा