Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
भावार्थ
49- पंचमांग विवाहपण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
पुत्र कोडी दसवास सहरसेहिं अव्भहिया, उक्कोसेणं साइरेगा दो पुत्रकोडी एवइयं जाव सेवेज्जा ॥ ४ ॥ २४ ॥ सोचेत्र जहण्ण कालट्ठिईएस उववण्णो एसचैव वत्तन्त्रया वरं असुरकुमारट्टिई संच जाणेजा ॥ ५ ॥ २५ ॥ सोचेव उक्कोसकालटिईएस उबवण्णो, जहण्णेणं साइरेगं पुव्वकोडी आउएस उक्कोसेणत्रि साइरेगपुञ्चकोडी आउएस उववज्जेज्जा सेसं तंचेव ॥ णवरं कालादेसेणं जहण्णेणं साइरेगा दो पुत्रकोडीओ उक्कोसेणवि साइरेगाओ दो पुव्वाकोडीओ एवइयं कालं जाव करेज्जा ॥ ६ ॥ २६ ॥ सोचेत्र अध्पणा उक्कोसकालाईईओ जाओ सोचेवय पढमगमगो भाणियब्बो
॥
और दश हजार वर्ष अधिक उत्कृष्ट साधिक दो पूर्व क्रोड इतना यावत् करे यह चौथा गमा हुवा ॥ २४ ॥ नही जघन्य स्थिति में उत्पन्न होत्रे तो पहिले जैसे कहना विशेषता में असुरकुमार की स्थिति व संवेध कहना. यह पांचवा गमा हुवा ||२५|| वही उत्कृष्ट स्थितिवाला तिर्यच असुरकुमार में उत्पन्न होवे तो जघन्य साधिक पूर्व क्रोड के आयुष्य में उत्पन्न होने उत्कृष्ट भी साधिक पूर्व क्रोड के आयुष्य में उत्पन्न होवे. (शेष सत्र पूर्वोक्त जैसे. परंतु कालादेश से जघन्य उत्कृष्ट साधिक दो पूर्व क्रोड जानना ॥ २६ ॥ वही उत्कृष्ट स्थितिवाला उत्पन्न हुवा वगरहै पहिला गमा जैसे कहना परंतु स्थिति जघन्य तीन पल्योपम
4* चौत्रीसना शतक का दूसरा उद्दशा
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