Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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भावार्थ
** पंचमात्र विवाह पण्णत्ति (भगवती) सूत्र 4+
असंखेजड़ भागं उक्कोसेणं जोअणसहस्सं ||४|| तेसिणं भंते ! जीवाणं सरीरगा किं "संठिया पण्णत्ता ? गोयमा ! हुंडठाण संठिया पण्णत्ता ॥५॥ तेसिणं भंते! जीवाणं कइलेस्साओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! तिण्णिलेस्साओ पण्णत्ताओ, तंजहा कण्हलेस्सा णीललेस्सा काउलेस्सा, ॥ ६ ॥ तेणं भंते ! जीवा सम्मदिष्ट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी ? गोयमा ! णो सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी णो सम्मा मिच्छाविट्ठी ॥ ७ ॥ तणं भंते ! जीवा किं णाणी अण्णाणी ? गोयमा ! णो
उनके शरीर की कितनी अवगाहना कही ? अहो गौतम ! उन जीवों की अवगाहना जघन्य अंगुल का असंख्यांचा भांग उत्कृष्ट एक हजार योजन ॥ ४ ॥ संठाण द्वार अहो भगवन् ! उन जीवों को कौनसा { संस्थान कहा है ! अहो गौतम ! उन जीवों को इंडक संस्थान कहा है || ५ || लेश्या द्वार अहो भगवन् ! उन जीवों को कितनी लेश्याओं कही ? अहो गोतम ! उन जीवों को तीन लेयाओं कहीं जिन के नाम १ कृष्ण २ नील व ३ काgत. ॥६ ॥ दृष्टिद्वार अहो भगवन् ! क्या वे समदृष्टि. मिध्यादृष्टे या सममिध्या दृष्टि है ? अहां गौतम ! वे समदृष्टि व सममिध्यादृष्टि नहीं हैं परंतु मिध्यादृष्टि हैं. ॥ ७ ॥ अहो भगवन् ! क्या ये ज्ञानी या अज्ञानी हैं ? अहो गौतम ! ज्ञानी नहीं हैं और नियम मति अज्ञान
चौवा शतक का पहिला उद्देशा 4
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