Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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जाव करेज्जा ॥ ५० ॥ सोचेव अपणा उक्कोसकालट्ठिईओ जाव सोचेव पढम गमओ णेयन्वो णवरं सरीरोगाहणा जहण्णणं पंचधणुहसयाइं उक्कोसेणवि पंच धणुहसयाई ट्ठिई जहण्णेणं पुचकोडी उक्कोसेणवि पुवकोडी, एवं अणुबंधोवि ॥ कालादेसेणं जहण्णेणं पुन्चकोडी दसहिवाससहरसेहिं अब्भहियाइं उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चउहिं पुवकोडीहिं अब्भहियाइं एवइयं कालं जाव करेजा ॥५१॥ सोचेव जहण्ण कालटिईएसु उववण्णो सम्वेव सत्तमगमग वत्तव्वया णवरं । कालादेसेणं जहणणं
पुत्रकोडी दसवाससहस्सेहिं अब्भहिया उक्कोसेणं चत्तारि पुव्यकोडीओ चत्तालीसाए भावार्थ प्रत्येक मास आधिक. उस्कृष्ट चार सागरोपम और चार प्रत्येक मास अधिक. इतना यावत् करे ॥५०॥
वही उत्कृष्ट स्थितिवाले यावत् उत्पन्न होवे तो पहिला गमा कहना परंतु शरीर अवगाहना जघन्य उत्कृष्ट E पांचसो धनुष्य की जानना. स्थिति जघन्य उत्कृष्ट पूर्व क्रोड ऐसे ही अनुबंध. कालादेश मे जघन्य पूर्व
कोड और दश हजार वर्ष आधिक. उत्कृष्ट चार सागरोपम चार पूर्व क्रोड अधिक इतना काल यावत्
करे ॥५१॥ वही जघन्य स्थितिवाली नारकी में उत्पन्न होवे वगैरह सातवा गमा कहना विशेष में काला| देश से जघन्य पूर्व कोड दश हजार वर्ष अधिक उत्कृष्ट चार पूर्व कोड चालीस हजार वर्ष अधिक. इतना
फ्रणत्ति ( मगवती) सूत्र 438
8- चौवीसवीं शतक का पहिला उद्देशा
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