Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
भावान
पंचांग विवाद पण्णसि ( भगवती ) मूत्र
गमगा ९, सव्वेते णत्र गमगा भवति ॥ २० ॥ जदि सष्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति किं संखेज्जवासाउयलणिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति असंखेज्जवासाउयसणिपींच दियतिरिक्ख जोणिए हिंतो जाव उववज्जति ? गोयमा ! संखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदिय तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति, णो असंखेज्जवासाउय जात्र उववज्जति ॥ दि संखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए हिंतो उववजंति किं जलचरेहिंतो उववज्र्जति, पुच्छा ? गोयमा ! जलचरेहिंतो उवत्रजंति
स्थिति में तीन गमा और उत्कृष्ट काल स्थिति में तीन गमा सब मीलकर १ गमा जानना ॥ ३० ॥ अब संज्ञी के नव गमे कहते हैं. अहो भगवन् ! संज्ञीतिर्यंच पंचेन्द्रिय में से जब उत्पन्न होते हैं तो क्या संख्यात वर्ष के आयुष्यवाले संज्ञी तिर्यंच में से उत्पन्न होते हैं या असंख्यात वर्ष के आयुष्यवाले संज्ञी तिर्यंच पंचेन्द्रिय में से उत्पन्न होते हैं ? अहो गौतम ! संख्यात वर्ष के आयुष्यवाले संज्ञीतियच पंचेन्द्रिय में मे उत्पन्न होवे परंतु असंख्यात वर्ष के आयुष्यवाले संज्ञीतिर्यंच पंचेन्द्रिय में से उत्पन्न होवे नहीं. जब संख्यात वर्ष के आयुष्यवाले संज्ञीतिर्यंच पंचेन्द्रिय में से उत्पन्न होवे तो क्या जलचर में मे उत्पन्न होवे वगैरह पृच्छा, अहो गौतम ! जलचर में से उत्पन्न होते. स्थलचर में से उत्पन्न होवे और खेचर में से भी उत्पन्न होंवे
42 चौवीसवा शतक का पहिला उद्देशा
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