Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
भावार्थ
*०८३ पंचमाङ्ग विवाह पष्णति ( भगवती ) सूत्र 480
nios fiers लोहियएय हालिइएय १, सिय कालएय णीलएय लोहियएय लिए २, सिय कालएय पीलएय हालिदएय मुक्किलएय ३, सिय कालएय लोहियएय, हालिएय, सुकिल्लएय ४, सिय नीलएय लोहियएय हालिएय सुकिलएय ५, एवमेते चक्क संजोए पंचभंगा ॥ एए सव्वेणउइ भंगा। जइ एग गंधे- सिय सुभिधेय सिय दुब्भिगंधेय । जइ दुगंधे- सिय सुब्भिगंधेय दुब्भिगंधेय ४ ॥ रसा जहा वण्णा । जइ दुफासे-जहेब परमाणुपोग्गले ॥ जइतिफासे- सव्वेसीए देसे ि देसे लक्खे १, सव्वे सीए देसे मिद्धे दंसा लक्खा २, सब्बेसीए देसा णिद्धा देते
लाल व पीला २ काला, हरा, लाल व शुक्ल ३ काला, हरा, पीला व शुक्ल ४ काला, लाल, पीला व शुक्ल और ५ हरा, लाल, पीला व शुक्ल या चार संयोगी पांच भांगे जानना यो सब मील कर वर्ण के ९० भांगे जानना. यदि एक गंध होवे स्यात् सुरभिगंध स्वात् दुरभित्र यदि दो गंध अलग २ होवे तो सुरभिगंध दुरभिगंध के चार भांग पूर्वोक्त जैसे कहना. यों गंध के ६ भांगे हुवे. पांच रस के ९० भांग पांच वर्ण जैसे कहना. स्पर्श में यदि दा स्पर्श होवे तो जैसे परमाणु पुद्गल का कहा वैसे ही कहना. यदि तीन स्पर्श होत्रे तो १ सर्व शीतस्पर्शवाले देश स्निग्ध देश रूक्ष २ सर्व शीत स्पर्शनाले एक स्निग्ध तीन रूक्ष
483* बीसना शतक की पवित्रा उद्देशा 409
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