Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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लोहितगाय २, सिय कालएय णीलगाय लोहितएय ३, मिय कालगाय णीलएय लोहियएय, एएणं चत्तारि भंगा ॥ एवं कालणील-हालिइएहिं भंगा ४ ॥ काल. णील-मुक्किल्ल ४ ॥ काल-लोहिय-हालिद्द ४ ॥ काललोहिय-सुकिल्ल ४ । कालहालिद्द-सुकिल्ल ४ । णील-लोहिय-हालिहगाणं भंगा ४ । णीललोहिय-सुक्किल । णील-हालिद्द-सुकिल्ल ४ । लोहिय हालिद्द-सुकिल्लगाणं भंगा ४ । एवं एए दसतिया संजोगा एकेके संजोए चत्तारि भंगा, सव्वं ते चत्तालीसं भंगा । जदि चउवण्णे-सिय
48 अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
. प्रकाशक राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी .
भावार्थ
स्यात एक हरा व स्यात् एक प्रदेशावगाही दो पुद्गल लाल २ स्यात एक पुद्गल काला, एक हरा और दो लाल दो प्रदेशावगाही ३ स्यात् एक काला दो हरे व एक लाल ४ स्यात् दो काले एक हरा एक लाल यो चार भांगे ऐसे ही काला, हरा व पीले के चार भांगे, काला नीला व शुक्ल के चार भांगे, काला लाल व पीले के चार भांगे, काला लाल व शक्ल के चार भांगे, काला पीला व के चार भांगे, हरा लाल पीला के चार भांगे, हरा, लाल शुक्ल के चार भांगे, हरा, पीला शुक्ल के चार भांगे और लाल पीला व शुक्ल के चार भांगे यो दश तीन संयोग हुवे एक २ संयोग में चार२ भांगे हुवे, मब मील कर ४० भांगे तीन संयोगी हुवं. यदि चार वर्ण होवे तो स्यात् काला, हरा,