Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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. लोहियएय, हालिहगाय २, एवं जहेव सत्तपएसिए जाब सिय कालगाय गीलगाय
लोहियगाय, हालिद्दगाय १६ ॥ एए सोलस भंगा ॥ एवमेते पंच चउक्क संजोगा एवमेते असीति भंगा ॥ जइ पंचवणे-सिय कालएय णीलएय लोहियएय हालिहएय सुक्किाएय, एवं एएणं कमेणं भंगा उच्चारेयव्वा जाव सिय कालएय णीलगाय लोहियगाय हालिहगाय सुकिल्लएय १५; एसो पण्णरसमो भंगो, सिय कालगाय णीलगेय लोहियएय हालिद्दएय सुकिल्लएय १६, सिय कालगाय णीलगेय लोहियएय
पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) सम्र
40 बीसवा शतकका पविमा उद्देशा
भावार्थ
कहा वैसे ही कहना यावत् क्वचित् चार स्पर्श होवे यदि एक वर्ण होवे आठों प्रदेश काले वगैरह एक दो की तीन वर्ण का सात प्रदेशिक स्कंध जैमें कहना. यदि चार वर्ण होवे तो स्यात् काला, हरा, लाल व पीला एक २ स्यात काला, हरा लाल एक पीला अनेक ऐसे ही जैसे सात प्रदेशों का कहा वैसे ही कहना यावत् स्यात् काला हरा लाल व पीला अनेक वचन यों सोलह भांगे करना एसे ही काला हरा, लाल व शिल यों पांच बार संयोगी करना. प्रत्येक चार मयोगी में सोलह २ मांग जानना. सब मीलकर ८०* भांगे चार वर्ण के हुवे. यदि पांच वर्ण होवे तो काला हरा, लाल पीला व घेत एक बचन यो अनुक्रम से नैसे पहिले भांगे कई वैसे ही १५ भांगे करना यावत् स्यात् काला एक हरा, बाल, पला ।
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