Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
42 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमालक ऋषिजी 8
लुक्खे एवं सीतेणवि समं चउसट्टि भंगा कायव्वा ॥ सव्वे उसिणे देसेकक्खडे देसे मउए देसे गुरुए देसेलहुए देसे गिद्दे देसे लुक्खे ॥ एवं उसिणेणवि समं चउसट्टि भंगा कायव्वा ॥ सव्वे णिद्धे देसे कक्खडे देसेमउए देसेगुरुए देसेलहुए देसे सीए देसेउसिणे ॥ एवं णिडेणवि समं चउसट्टि भंगा कायव्वा ॥ सव्वे लुक्खे देसे कक्खडे देसेमउए देसेगुरुए देसे लहुए देसेसीए देसे उसिणे, एवं लुक्खेणवि समं चउसट्ठि भंगा कायव्वा ॥ जाव सव्वे लुक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा गुरुया देसा लहुया देसा सीया देसा उसिणा एवं सत्तफासे पंचबारसुत्तरा
भंगसया भवंति ॥ जइ अट्ठफासे-देसे कक्खडे देसे मउए देसे गुरुए देसे लहुए स्निग्ध के ६४ भांगे, सब रूक्ष देश कर्कश देश मृदु देश गुरु देशलघु देश शीत व देशऊष्ण यों रूक्ष के ६४ भांगे यावत् सब रूक्ष देश कर्कश देश मृदु देश गुरु देश शीत देश ऊष्ण अनेक वचन यो सात स्पर्श के सब मीलकर ५१२ भांगे हुवे. यदि आठ स्पर्श होवे तो देश कर्कश देश मृदु देश गुरु देश लघु देश शीत देश ऊष्ण देश स्निग्ध व देश रूक्ष ४ देश कर्कश देश मृदु देश गुरु देश लघु देश शीत एक देश ऊष्ण अनेक देश स्निग्ध देश कक्ष एक ४ देश कर्कश देश मृदु देश गुरु देश लघु एक देश शीत देश ऊष्ण अनेक
प्रकाशक राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ
।