Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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43 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
सिजित्था ? गोयमा ! अत्थेगइयाणं संखेनं कालं अत्थेगइयाणं असंखेनं कालं ॥ ११ ॥ जंबूद्दीवेणंदीवे भारहेवासे इमीसे उस्सप्पिणीए देवाणुप्पियाणं केवइयं कालं तित्थे अणुसिजिस्सइ ? गोयमा ! जंबूद्दीवेदीवे भारहेवासे इमीसे उस्सप्पिणीए ममं एगवीसं वाससहस्साई तित्थे अणुसिज्जिस्सइ । जहाणं भंते ! जंबुद्दीवेदीवे भारहेवासे इमीसे उस्लप्पिणीए देवाणुप्पियाणं एकवीसं वाससहस्साई तित्थे अणुसिज्जिस्सइ, तहाणं भंते ! जंबुद्दीवेदीवे भारहेवासे आगमेस्साणं चरमतित्थगरस्स केवइयं कालं तित्थे अणुसिज्जिस्सइ ? गोयमा ! जावइएणं उसभस्स अरहओ कोसलियस्स काल और कितनेक तीर्थंकरों का असंख्यात काल तक पूगित रहेगा. ॥ ११ ॥ अहो भावन जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में इस अघसर्पिणी में आप का तीर्थ कितना कल पर्यंत रहेगा ? अहो गौतम ! जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में इस अवमर्पिणी में मेरा तीर्थ एकवीस हजार वर्ष पर्यंत रहेगा. अहो भगवन् ! जब जंबूद्वीप के भरत क्षेत्र में इस अवसर्पिणी में आप का तीर्थ एकवीस हजार पर्ष पर्यंत रहेगा. तब जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में आगामी चरम तीर्थंकरका तीर्थ कितने काल पर्यंत रहेगा ? अहो गौतम ! कोशल. देश के उत्पन्न ऋषभनाथ स्वामी
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावाथ