Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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पंचांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मृत्र 4
कयरे २ जाब विसेमाहिया वा ? गोयमा! सम्वत्थोवा सिद्धा कतिसंचिया, अन्वतव्वग संचिया संखेजगुणा ॥ १० ॥ णरइयाणं भंते कि छक्कसमजिया णो छक्कसमाजिया, छक्केणय णो छक्केगय समजिया, छक्काहिय समज्जिया, छक्केहिय को छक्केणय समजिया? गोयम!! हेरइया छक्कासमजिप.वि १, णा छकासमज्जियावि २, छक्केणय णो छक्केणय समाजिया ३, छक्केहिय समजियावि ४, छकोहिय जो छणय समजियावि ५ ॥ से केणटेणं भंते ! एवं वुवइ-ण इया छ कसमजियावि जाव णा छक्केहिय णो छक्के.
ज्य साजियावि ? गोयमा ! जेणं णरइया छकएणं पवेतणरणं पविसंति तेणं णेरइया व अकति मंचित द्धि में कौन किम से अप बहन यावत् शेषाधिक हैं ? अहो गौतम ! सब मे थोडे द्धि कान मंचित हैं इस मे अनन्य चिन ख्यात गु ॥ ॥ अहो भगवन् ! क्या नारकी १ छक समाजित हैं २नो छक्क मनिन छक्को नो छक्का मम जित १ ४३हन छक्क सपाजित हैं अथवा ५बहुत 4 छक्क नो छक्क से सपमित हैं ? अहो गाम ! .की पांवों भांग पाने हैं. जो भगवन् ! किम कारन से ऐकहा गया है कि न.रकी छस याजित यावत् बहुन छक्क छक्क समार्जित हैं ? अहो गौतम !" . न.रती एकत.य उ पोशा से प्रोस करते हैं वे छ के समागित हैं अर्थात छ जीव एकसाय उत्पन्न हो
480 बीमवा शतक का दशवा उद्देशा 41
মাখা
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