Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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14 एए वि. सोलस भंगा कायव्वा ॥ सव्वेवि ते चउसट्टि भंगा ॥ कक्खड
- मउएहिं एगत्तएहिं ताहे कक्खडेणं एगत्तएणं, मउएणं पुहत्तेणं एते चेव चउसद्धि
भंगा कायव्वा॥ ताहे कक्खडेणं पुहत्तएणं, मउएणं एगत्तएणं चउसर्टि भंगा कायव्वा ___ ताहे एतेहिं चेव दोहिंवि पुहत्तेहिं चउसद्धिं भंगा कायव्वा ॥ जाव देसा कक्खडा
देसा मउया, दंसा गुरुया, देसा लहुया, देमासीया देसाउसिणा, देसाणिडा देसालुक्खा एसो अपच्छिमो भंगो सव्वेते अट्टफासे दो छप्पण्णा भंगसया भवंति ॥ एवं एतेवादरपरिणए अगंतपएसिए खंधे सव्वेसु संजोएसु वार छण्णउया भंगसया भवंति ॥११॥
कइविहेणं भंते ! परमाणुपोग्गले पण्णत्ते ? गोयमा ! चउविहे परमाणुपोग्गले भावार्थ सोलह भांगे जानना. सब मीलकर कर्कश मृदु के एक के ६४ भांगे जानना. फीर कर्कश एकत्व व मृदु
अनेक के ऐसे ही ६४ भांगे करना, वैसे कर्कश अनेक व मृदु एक के ६४ भांगे और कर्कश व मृदु दोनों
अनेक के ६४ भांगे करना यावत् देश कर्कश देश मृदु देश लघु देश शीत देश ऊष्ण देश स्निग्ध व देश बत अनेक. सब मीलकर आठ स्पर्श के २५६ भांगे होवे. चादर परिणत अनंत प्रदेशिक स्कंध के चार
स्पर्श के १६ पांच के १२८ छ के ३८४ सात के५१२ व आठ स्पर्श के २५६ सब मीलकर १२९६ भांगे, 17हुवे ॥ २१ ॥ अहो भगवन् ! परमाणु पुद्गल के किनने भेद कहे हैं ? अहो गौतम ! परमाणु पुद्गल के।
48 अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवमहायजी ज्वालाप्रसादजी *