Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
田
अनुवादक - बालवझचारी मुनि श्री अम लकऋषिनी
भावार्थ
सिय कालगाव णीए लोहियगाथ हालिएय सुविलएय ३५, सिय कालगाय नीलंगाय लोहियrय हालिए मुलिएय १६, एए सोलस भंगा । एवं सव्वमते एकग दुयग तियग चक्कग पंचग संजोगेण दो सोलस भंगसभा भवति ॥ गंधा जहा चउपदेसियस्स || रसा जहा एपस्स चैत्र aण्णा ॥ फासा जहा चउप्पदेमियस्स ॥ ७ ॥ अटुप्पदेसिएणं भंते ! खंधे पुच्छा ? गोयमा ! लिय एगवण्णे जहा सत्तपए सियरस जान सिय चउफा पण ॥ जइ एगवण्णे - एगत्रण दुवण्ण तिवण्णा जहा सतपएसिए | जइ उवण्णे- सिय कालए पीलएय लोहियएय हालिइएय १, सिय कालएय, नीलएष,
एक लाल अनेक पीला व शुक्ल एक १६ स्थात काला दरा अनेक लाल पीला व शुरू एक यों सोलह मांगे जानना. यों एक संयोगी ५ द्विसंयोगी ४० तीन संयोगी व्यार संयोगी ७५ और पांच संयोगी १६ सब | मीलकर २१० पांच वर्ण के भांगे हुवे. गंध के ६ भांगे चार प्रदेशिक स्कंध जैसे जानना. रस के २१६ भांगे वर्ण जैसे करना और स्पर्श के ३६ भांगे करना. सब पीकर -मात प्रदेशिक स्कंध के ४०४ भागे होते हैं. ॥ ७ ॥ अव आठ प्रदेशिक स्कंध की पृच्छा करते हैं. अहो भगवन् ! आठ प्रदेशिक स्कंध में कितने वर्ण गंध रम व स्पर्श कहे हैं ? अहो गौतम ! एक वर्ण होने यावत् जैसे सातप्रदेशिक स्कंध का
* प्रकाशक- राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी
| २४५२