Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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14 ... सव्वेक्खडे सत्वे गुरुए सव्वे सीए सने गिद्धे १,सव्वे कक्खडे सत्वे गुरुए सव्वे सीए
सवें लुक्खें २, सव्वे कक्खडे, सन्चे गुरुए, सव्वे उसिणे, सव्वे णिडे ३, सब्वे .. कक्खडे सवे गुरुए, सब्वे उसिणे सन्चे लुक्खे ४, सव्वे कक्खडे, सबैलहुएं, सव्वे |२४५८
सीए सव्वेणिढे ५, सव्वकक्खड़े सवेलहुए, सव्वेसीए सव्वे लुक्खे ६, सवे कक्खडे, सव्वे लहुए सव्व उसिणे सव्वे णिढे ७, सब्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वै लुक्खे सव्वेमउए सव्वे गुरुए सम्बेसीए सव्वे गिद्ध ९,
सोमठए, सव्वेगुरुए सव्वसीए सव्वे लुक्खे १०, सव्वेमउए सब्वे गुरुए सव्वे । भावार्थ
अठारवे शतक में कहीं जैसे यावत् स्यात् आठ स्पर्श कहे हैं. वर्ण, गंध, रस का दश प्रदेशिक स्कंध जैस कहनाः यदि चार स्पर्श होने तो सब कर्कश सब गुरु सत्र शीत व सब स्निग्ध २ सत्र कर्कश सब गुरु - सब शीत, व. सब रूक्ष ३ .सब कर्कश सब गुरु सब ऊष्ण व सब स्निग्य ४ सब कर्कश सब गुरु सब उष्ण व सब रूक्ष ६ सब कर्कश मब लघु सब शीत व सब स्निग्ध ६ सय कर्कश सब लघु सब शीत व सब रूक्ष १७ सब कर्कश सब लघु संव ऊष्ण व सब स्निग्ध ८ सब कर्कश सब लघु सब ऊष्ण व सब रूक्ष ९ सब मृदु स्थ गुरु सब शीत च सत्र स्निग्धः १०. सब मृदु-सब गुरु. सब शीत व सर रूक्ष ११. सब मृदु-सब गुरु
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* अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋपानी
* प्रकाशक-राज़ाबादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी ,
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