Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
२४६०
48 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी -
सोकक्खडे सव्वंगुरुए सन्वेउसिणे देसेणिडे देसैलुक्खे ४, सम्वेकक्खडे सम्वे लहुए सब्वेसीए देसे गिद्धे देसे लुवखे ४, सव्वे कक्खडे सन्चे लहुए सम्वेउसिणे देसणिद्धे देसेलुक्खे ४, एवं एए कक्खडेणं सोलस भंगा ॥ सव्वेमउए सव्वेगुरुए सम्बेसीए देसे णिडे देसे लुक्खे ४, एवं मउएणवि समं सोलस भंगा ॥ एए बत्तीस भंगा ॥ सवे कक्खडे सव्वे गुरुए सव्वे गिद्धे देसे सीए देसे उसिणे ४, सब्बे कक्खड़े सवे गुरुए सब्वे लुक्खे देसेसीए देसे उसिणे ३ एए बत्तीसं भंगा ॥ सव्वे
कक्खडे सव्वे सीए सब्वे गिद्ध देसे गुरुए देसे लहुए ४, एत्थवि बत्तीसं भंगा ॥ माथ हुई. ऐसे ही सर्व कर्कश सर्व गुरु सर्व उष्ण की स्निग्ध व रूक्ष की चौभंगी, सर्व कर्कश्म, लघु वशीत , की देश स्निग्ध व रूक्षकी साथ चौभंगी, सर्व कर्कश लघु व ऊष्णकी स्निग्य व रूक्ष साथ चौभंगी. इस तरह कर्कशकी. साथ मोलह भांगे जानना. जैसे कर्कश के सोलह भांगे हुवे ही मृदु के सोलह भांगे कहना. यों बचीस मांगे
हु.सई कर्कश सर्व गुरु सवस्निग्ध देश शीत व देश ऊष्ण सर्व कर्कश सर्व गुरु, सर्व रुक्ष देश शीत व देश ऊष्ण कयों कर्कश के दूसरे वत्तीम गंगे जानना, सर्व कर्कश सर्व शीत सर्व स्निग्ध देश गुरुवदेश लघु इसमें भी बचीस भांगे
करना. सर्व गुरु सर्व शीत सर्व स्निग्ध देश कर्कश व देश मृदु इस में भी बत्तीस भांगे करना. ऐसे पांच
marwarnmome
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी.