Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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* अनुवादक़:बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी ६
ग्रीलएय लोहियएय हालिहगाय २,सिय कालएय णीठएय लोहियगाय हालिइएय ३,एवमेते .
चउक्क संजोगेणं पण्णरसभंगाभाणियव्याजाव सियकालगाय पीलगाम लोहियगाय हालिन् 3 : 'हएय ॥ १५ ॥ एवमेते पंच चउक्कसंजोगा णेबव्वा एक्केकसंजोए पणरस: भंगा
सव्वमेते पंचसत्तरि भंगाभवति ॥ जइ पंचवण्णे सिय कालएय णीलएयं लोहियएय हालिंबएय सुकिल्लएय १, सिय कालएय णी एय लोहियएय हालिद्दएप सुक्किलगाय २,.. सिय कालपय णीलएय लोहियएय हालिद्दगाय सुाक्कल्लएय ३,सिय कालएय णीलएय लोहियएय
हालिहंगाय, सुकिल्लगाय ४, सिय कालएय णीलएय लोहियगाय हालिइएय सुकिल्लएय' व अस्सी भांगे पाते हैं. यदि चार वर्ण होवे तो १ स्यात् काला हरा, लाल व पीला एक २ काला हरा लाल एक पीला अनेक ३ काला हरा एक लाल अनेक पीला एक यों चार मयोगी. १५ भांग जानना. यावत् स्यात् काला, हरा एक बाल अनेक पीला एक ऐसे पांच चार संयोगी करना. एक२ चार संयोगी के पनाह भांगे करना सब मीलकर चार संयोगी के ७५ भांगे होते हैं. यदि पांच वर्ण होवे तो. ११ यात् काला, हरा, लाल, पीला व शुक्ल २ स्यात् काला हरा, लाल पीला एक व शुक्ल अनेक ३ स्यात् काला इस लाल एक पीला अनेक व शुक्ल एक ४. स्यात् काला . इरा लाल एक पीला शुक्ल अनेक ५
*.प्रकाशक राजावहदुर-लाला सुखदवसंहायजी ज्वालाप्रसादजी*
भावार्थ