Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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अनवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
हालिद्दएय ८, सिय कालगाय णीलएय लोहियएय हालियाय ९, सिय कालगाय णीलएय लोहियगाय हालिबएय १०, सिय कालगाय णीलगाय, लोहियएय हालिद्दएय ११, एएकारस भंगा ॥ एक्मेर पंच चउक्क संजोगा कायव्वा । एकेक संजोए एक्कारस भंगा । सव्वते चउक्कसंजोगेण पणपण्णभंगा ॥ जइ पंचवण्णे-सिय कालएय णीलएय, लोहियएय, हाम्हिएय, सुक्किल्लएय १, सिय कालएय लिएय लोहियएय, हालिहण्य, सुकिल्लगाय २, सिय कालएय, णीलएय लोहियगेय,हालिहगाय,सुकिल्लगेय३, सिय कालएय, णीलएय, लोहितगाय, हालिद्दगेय, सुकिल्लएय. ४, सिय. कालएय अनेक हस, लाल व पीला एक ९ स्यात् काला अनेक हरा, लाल एक व पीला अनेक १० स्यात् काला E अनेक हरा एक लाल अनेक व पीला एक ११ स्यात् काला, हरा अनेक लाल पीला एक में आयारह
भांगे हुवे एसे ही चार संयोगी पांच कहना. एक २ चतुष्क संयोगी के अग्यारह २ भांगे कहना सब. मिलकर ५५ मांगे चार संयोगी के जानना. यदि पांव वर्ण होवे तो १ स्यात् काला, हरा, लाल, पीला व शुक्ल २ स्यात् काला हरा, लाल व पीला एक और शुक्ल अनक ३ स्यात् काला हेग लाल एक पीला अनेक व शुक्ल एक ४ स्याल काला हरा एक लाल अनेक व पीला शुक्ल एक ५ स्यात् काला एक मा अनेक व. लाल पीला शुक्ल. एक ६ स्यात् काला अनेक हरा, लाल, पीला व भुक्ल एक ऐसे छ, भांगे.
• प्रकाशक-राजीबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ