Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
सूत्र
भावार्थ
Dios
4 अनुवादक बालब्रह्मचारीमुनि श्री ऋषिजी
देसे सीए देसा उसिणा, देसे णिद्धे, देसे लुक्खे ४ देसे सीए. देसा उसिणा देसे - णि देसा लुक्खा ५, देसे सीए देसा उसिणा, देसा णिड़ा, देसे लुक्खे ६, देसा सीया देसे उसिणे देसे णिद्धे देसे लुक्खे ७, देसा सीया देसे उसेणे देसे णिद्धे देसा लक्खा ८ देसा सीया देसे उसिणे देसा णिद्धा देसे लुक्खे ९, एवं एए तिपदेसिएफासेसु पणवीसं भंगा ॥ ३ ॥ चउप्पदेसिएणं भंते ! खंधे कइवण्णे जहा अट्ठारसमसए जाव सिय चउफासे १० || जइ एगवण्णे सिय कालएय जाव सुक्किलएय ॥ जइ
एक शीत एक ऊष्ण जिस में अनेक स्निग्ध एक रूक्ष ४ एक शीत अनेक ऊष्ण जिस में एक स्निग्ध एक रूक्ष ५ एक शीत अनेक ऊष्ण जिस में एक स्निग्ध अनेक रूक्ष ६ एक शीत अनेक ऊष्ण जिस में अनेक (स्निग्ध एक रूक्ष ७ अनेक शीत एक ऊष्ण जिस में एक स्निग्ध एक रूक्ष ८ अनेक शीत एक ऊष्ण जिम में एक स्निग्ध अनेक रूक्ष ९ अनेक शीत एक ऊष्ण जिस में अनेक स्निग्ध एक रूक्ष यों तीन प्रदेशिक स्कंध में स्पर्श के २५ भांगे हुवे और वर्ण के ४५ गंध के पांचव, रस के ४५, मीलकर १२० भांगे हुवे ३ ॥ ३ ॥ अहो भगवन् ! चार प्रदेशिक स्कंध में कितने वर्ण गंध, रस व स्पर्श पाते हैं. चार प्रदेशिक स्कंध में जैसे अठारवे शतक में कहा वैसे ही यहां कहना
अहो गौतम ! यावत् स्पर्श पाते हैं. यदि एक
* प्रकाशक- राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
२४३८