Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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48 पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) सत्र 488
दुवण्णे सिय कालएय णीलएय १ सिय कालएय गीलगाय २, सिय कालगाय णीलएय ३, सिय कालगाय णीलगाय ४, सिय कालएय लोहियएय एत्थवि चत्तारि भंगा ४, सिय कालएय हालिद्दएय ४, सिय कालएय सुकिल्लएप ४, सिय णालएय लोहियएय ४, सिय णीलएय हालिहएय ४, सिय णीलएय सुकिल्लएय ४, सिय लोहियएय हालिदएंय ४, सिय लोहियएय सुकिल्लएय ४ सिय हालिद्दएय सुकिल्लएय ४, एवं एए दस दुयासंजोगा भंगा पुण चत्तालीसं ४०,
॥ जइ तिवण्णे सिय कालएय णीलएय लोहियएय १, सिय कालएय णीलएय वर्ण होवे तो चारों ही क्वचित् काले यावत् क्वचित् शुक्ल यों पांच भांगे. यदि दो वर्ण होवे तो स्यात् काले के दो,हरेके दोर स्यात् काला का एक हरेके तीन३ काले के तीन हरेका एक और ४ काले के दो हरे के दो यहां दो प्रदेश अवगाहना आश्री है. ये काले व हरे के चारे भांगे हुवे वैसे ही काले व लाल के चार भांगे, काले पीले के चार भांगे, काले शुक्ल के चार भांगे, हरे व लाल के चार भांगे, नीले व पीले के चार भांगे, नीले व शुक्ल के चार भांगे, लाल पीले के चार, लाल शुक्ल के चार और पीले व शुक्ल के चार भांगे करना. यों दो वर्ण के द्विसंयोगी. ४० भांगे होवे. यदि तीन वर्ण होवे तो १ स्यात् एक कालाई ।
488'बीसवा तक का पांचवा उद्देशा 4.28.