Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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42 अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
लुक्खे ३, सव्वे सीए देसा णिद्धा देसा लुक्खा ४, सव्वे उसिणे देसेणिद्धे देसे लुक्खे एवं भंगा ४ । सव्वे गिद्धे देसे सीए देसे उसिणे ४ । सव्वे लुक्खे देसेसीए देसेउसिणे ४ । एएतिफासे सोलसं भंगा ॥ जइ चउप्फासे देसेसीए, देसे उसिणे देसेणिद्धे, देसेलुक्खे १, देसे सीए देसे उसिणे, देसेणिढे देसा लुक्खा २ । देसेसीए देसे उसिणे देसाणिद्धा देसे लुक्खे ३, देसेसीए, देसेउसिणे, देसाणिडा देसालुक्खा४। देसेसीए देसा उमिणा, देसेणिद्धे, देसेलुक्खे ५, देसेसीए देसा उसिणा, देसेणिद्धे,
देसा लुक्खा ६ । देसे सीए देसा उसिणा, देसा णिहा देसे लुक्खे ७ । देसेसीए देसा १३ सर्व शीतवाले तीन स्निग्ध एक रूक्ष ४ सर्व शीतवाले दो स्निग्ध दो रूक्ष यों चार भांगे. जैसे शीत के चार मांगे कहे वैसे ही ऊष्ण के चार भांगे कहना और ऐसे ही सर्व स्निग्ध व सर्व रूक्ष के चार २ भांगे कहना. इस तरह तीन स्पर्श के सोलह भांगे हुवे. यदि चार स्पर्श होवे तो देश शीत देश उष्ण देश स्निग्ध व देश रूक्ष. २ देश शीत देश ऊष्ण देश स्निग्ध व बहुत देश रूक्ष ३ देश शीत देश ऊष्ण बहुत देश स्निग्ध व देश रूक्ष ४ देश शीत देश ऊष्ण बहुत देश स्निग्ध ब बहुत देश रूक्ष ५ देश शीत बहुत देश ऊष्ण देश स्निग्ध देश रूक्ष ६ देश शीत बहुत देश ऊष्ण देश स्निग्ध व बहुत देश रूक्ष ७ देश शीत बहुत
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी -
भावार्थ