Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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मुनि श्री अमोलक ऋपिजी + 42 अनुवादक-बालब्रह्मचारी
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लोहियएय १,सिय कालएय, पलिएय हालिहएयर, सिय कालएय, णीलएय, सुकिल्लएय ३, सिय कालएय लोहियएय हालिदएय ४, सिय कालएय. लोहियएय सुकिल्लएय५, सिय कालएय, हालिद्दएय सुकिल्लएय ६, सिय णीलएय, लोहियएय, हालिद्दएय ७, सिय णीलएय, लोहियएय सुकिल्लएय ८, सिय णीलएय, हालिद्दएय, सुकिल्लएय ९, सिय लोहियएय हालिबएय सुकिल्लएय १०, एवं एते दस तिया संजोगा ॥ जइ
एगगंधे सिय सुभिगंधे सिय दुभिगंधे ॥ जइ दुगंधे सुब्भिगंधेय दुभिगंधेय नीला दो लाल दो प्रदेशावगाही इस से अनेकवचन और ३ दो नीले एक लाल यो नीले पीले व नीले शुक्ल के तीन भागे मीलाकर ९ भाग हुवे. ऐमे ही लाल पीला व लाल शुक्ल व पीला शुक्ल के भी तीन २ भांगे जानना ऐसे वर्ण के ३० भांगे होते हैं. यदि तीन वर्ण पावे तो स्यात् काला, नीला व लाल, २ स्यात काला, नीला व पीला ३ स्यात काला नीला व शुक्ल ४ स्यात काला लाल व पी. स्यात् काला लाल व शुक्ल ६ स्यात् कालापीला व शुक्ल ७ स्यात् नीला लाल व पीला ८ स्यात् नीला
लाल व शुक्ल १ स्यात् नीला पीला व शुक्ल और स्यात् १०लालपीला व शुक्ल यों तीन संयोगी दश मांगे कहे. र यदि एक गंध होवे तो मुरभिगंध अशा दुरभिगंध अथवा सुरभिगंध व दुरभिगंध दोनों. रस का वर्ण
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भावाथ
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादनी.