Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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पंचांग विवाह पण्णति (भगवती) सूत्र 48
फासे ॥ जइ एगवण्णे सिय कालए जाव मुकिल्लए । जइ. दुवण्णे सिय कालएय सिय णीलएय १, सिय कालएय गीलगाय २, सिय कालगाय णीलएय ३,सिय कालएय लोहियएय ४, सिय कालएय लोहियगाय, सिय कालगाय लोहियएय ६ । एवं हालिद्देणविसमं ३, एवं सुकिल्लएणवि समं ३, सिय णीलएय लोहियएय एत्थवि भंगा ३,॥ एवं हालिइएणविसमं ३,एवं सुकिल्लएणनिसमं ३, भंगा सिय लोहियएय हालिहएय ३, एवं सुकिल्लएणवि समं भंगा ३, सिय हालिहएय सुकिल्लएय भंगा ३, एवं
सव्वैते दस दुया संजोगा भंगा तीसं भवति ॥ जइ तिवण्णे-सिय कालएय णीलएय तीन प्रदेशिक स्कंध में कितने वर्ण वगैरह जैसे अठारहवे शतक में कहा वैसे ही यावत् चार स्पर्श, यदि एक वर्ण तो क्वचित् काला यावत् शुक्ल यो पांचों भांगे पावे, यदि दो वर्ण पावे तो ? स्यान् एक काला दो हरा (दोनों पुद्गल एक प्रदेश अवगाहकर रहे हुवे होवे इस लिये एक वचन ) २ स्यात् एक काला दो हरा
दो काले एक हरा ४ स्यात् एक काला दो लाल ५ स्यात् एक काला दो लाल अनेक
स्यात दो काले एक लाल यों काला पीला के तीन मांगे और ऐसे ही काला के तीन मांगे सब १२ भांगे हुवे क्वचित् । एक नीला दो लाल एक वचन २ क्वचित् एक
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वीसवा शतक का पांचवा उद्देशा 488
भावार्थ
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