Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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4 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी -
सुहुमाणं बादराणं पजत्तगाणं अपजत्तगाणं जहण्णुकोसिया ओगाहणाए कयरे २ जाव विसेसाहियावा ? गोयमा ! सव्वत्थोत्रा सुहमणिगोयस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णिया ओगाहणा, १ सुहुमवाऊकाविगरस अपजतगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेजगुणा २ सुहुम तेऊअपजत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेजगुणा ३, सुहुम आऊअपजत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेजगुणा ४, सुहुमपुढवी अपजत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेजगुणा ५, वादरवाऊकाइयस्स अपजत्तगस्स
जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ६, वादरतेऊ. अपज्जत्तगस्स जहाणिया ओगा#काया, अप्काया, तेउकाया, वायुकाया व वनस्पति काया के सूक्ष्म बादर पर्याप्त व अपर्याप्त की जघन्य
उत्कृष्ट अवगाहना में से कौन किम से यावत् विशेषाधिक है ? अहो गौतम ! सब से छोटी अपर्याप्ता, सूक्ष्म निगोदकी जघन्य अवगाहना १, इस से सूक्ष्म वायुकाय के अपर्याप्ता की जघन्य अवगाहना असंख्यात गुनी,३ इस से सूक्ष्म तेउकाया के अपर्याप्ता की जघन्य अवगाहना असंख्यात गुनी,४ इस से स अप्काय के अपर्याप्ता की जघन्य अवगाहना असंख्यात गुनी,५ इस से मूक्ष्म पृथ्वी काया के अपर्याप्ता की जघन्य अवगाहना असंख्यात गुनी, ६ इस से बादर वायुकाय के अपर्याप्ता की जघन्य अवगाहना असंख्यात.
4काशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी .
भावाथ