Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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कयरे काएसव्वसुहुमतराए ? गौयमा ! वणस्सइकाइए सव्यसुहुमे, वणस्सइकाइए सव्वसुहुमतराए ॥ एयरसणं भंते ! पुढवीकाइयस्स आउकाइयस्स तेऊ-वाऊ-काइ. यस्स कयरे काए सब्बसुहुमे, कयरे काए सव्वसुहुमतराए ? गोयमा ! वाउकाइए सव्वसुहुमे, वाउकाइए सव्वसुहुमतराए २॥ एयस्सणं भंते! पुढवीकाइयस्स आउकाइ. बस्स तेउकाइयस्स कयरे काए सव्वसुहुमे कयरे काए सव्यमुहुमतराए ? गोयमा ! तेऊकाए सव्वसुहुमे, तेऊकाए सव्वसुहुमतराए ३, ॥ एयस्सणं भंते ! पुढवी काइयस्स आऊकाइयस्स कयर काए सव्वसुहुमे कयरे काए सव्वसुहुमतराए ?
गोयमा ! आउकाए सव्वसुहुमे आउकाए सव्वसुहुमतराए ४, ॥ एयस्सणं भंते ! भावार्थ
अहो गौतम ! वनस्पतिकाय सर्व से सूक्ष्म है और वनस्पतिकाय सर्व मूक्ष्मतर है. अहो भगवन् ! इन
पृथ्वी, अप्, तेउ और वायुकाया में कौन सर्व सूक्ष्म व सर्व सूक्ष्मतर है ? अहो गौतम ! वायुकाय सर्व से Eमूक्ष्म व वायुकाय सर्वसे सूक्ष्मतर है. अहो भगवन् ! इन पृथ्वी, अप्, तेउ काया में कौन सर्व से मूक्ष्म व
सर्व से सूक्ष्मतर है ? अहो गौतम ! तेउकाया सबसे सूक्ष्म व सर्वमे सूक्ष्मतर है. अहो भगवन् ! इन पृथ्वी काया व अपकाया में कौनसी काया सर्व मूक्ष्म व सर्व सूक्ष्मतर है ? अहो गौतम ! अप्काया सर्व से सूक्ष्म
बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी
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प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *