Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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48 पंचमांग विवाह पस्णति ( भगवती) सूत्र
वयणा प० ॥ ६ ॥ जीवत्थिकायस्सणं भंते ! केवइया अभिवयणा प. ? गोयमा ! अणेगा अभिवयणा ५० तंजहा-जीवेतिवा, जीवत्यिकाएतिवा, पाणेतिवा, भूएतिवा, सत्तेतिवा, विष्णूतिवा, चयातिवा, जेयातिवा, आयातिवा, रंगणेतिवा, हिंडएतिवा, पोग्गलेतिवा, माणवेतिया, कत्तातिवा, विकत्तातिवा, जएतिवा, जंतूतिवा, जोणिएतिवा सयंभातिवा, ससरशितिवा, नायातिवा, अंतरप्यातिवा, जेयावण्णे तहप्पगारा, सब्वे ते जीवअभिवयणा प० ॥ ६ ॥ पोग्गलत्थिकायस्सणं भंते ! पुच्छा ? गोयमा !
अणेगा अभिवयणा प० तंजहा-पोग्गलेतिवा, पोग्गलस्थिकाएतिवा, परमाणुपोग्गलेतिया हैं वे आकाश के नाम हैं. ॥ ६ ॥ अहो भगवन् ! जीवास्तिकाया के कितने नाम हैं ? अहो गौतम ! जीवास्तिकाया के अनेक नाम हैं जैसे जीव, जीवास्तिकाया, प्राण, भूत, सत्व, विज्ञ, चेत, जेता, आत्मा, रंगन, डिक, पुद्गली, मानव, कर्ता, विकर्ता, जया, जंतु, योनिक, स्वयंभू, मशरीरी, हाता, अंतरात्मा और ऐसे ही अन्य प्रकार के नाम जीव के हैं. ॥ ६॥ अहो भगवन् ! पुनलास्तिकाया के कितने नाम कहे* हैं? अहो गौतम ! पुद्गलास्तिकाया के अनेक नाम कहे हैं. पुद्गल, पुद्गलास्तिकाय, परमाणु पुद्गल, दिषदेशिक, तीन प्रदेशिक यावत् अांख्यातादेशिक अनंत प्रदेशिक स्कंध और ऐसे ही जो अन्य है .
- वीसा शतक का दूसरा दिशा 48
भावार्थ