Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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तेऊकइए सब्बबादरे तेउकाए सव्वबादरतराए ४, ॥ १८ ॥ के महालएणं भंते ! पुढवी सरीरे पण्णत्ते ? गोयमा ! अणंताणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं जावइया सरीरा.. से एगे सुहुमवाउ सरीरे, असंखेजाणं सुहुमवाउसरीराणं जावइया सरीरा से एगे सुहुम तेऊ सरीरे, असंखेज्जाणं सुहुम तेऊकाइय सरीराणं जावइया सरीरा से एगे सुहुम आउसरीरे, असंखजाणं सुहम आउकाइय सरीराणं जावइया सरीरा से एगे सुहुम पुढवी सरीरे, असंखेजाणं सुहुम पुढवीकाइय सरीराणं जावइया सरीरा से एगे
बादर वाउसरीरे, असंखजाणं बादर वाउकाइयाणं जावइया सरीरा से एगे बादर भावार्थ व वायुकाया में कौन सर्व बादर व सर्व वादर तर है ? अहो गौतम ! तेउकाया सर्व वादर व सर्व बादरतर
है ॥१८॥ अहो भगवन् ! पृथ्वीकायका शरीर कितना बडा कहा ? अहो गौतम ! अनंत सूक्ष्म वनस्पति
कायिक जीवोंका जितना शरीर होताहै उतना सूक्ष्म वायुकायाका शरीर होता है, असंख्यात सूक्ष्म वायु-१ निकायके शरीर जितना सूक्ष्म ते उकायाका शरीर, असंख्यात मूक्ष्म तेउकायके शरीर जितना मूक्ष्म अप्कायाका
शरीर, असंख्यात सूक्ष्म अपकाया के शरीर जितना सूक्ष्म पृथ्वी काया का शरीर, असंख्यात सूक्ष्म पृथ्वी काया के शरीर का एक बादर वायुकाया का शरीर, असंख्यात बादर वायुकाया के शरीरका एक बादर
अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी,