Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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भावार्थ
48 पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र 48
हणा असंखेज्जगुणा ७, वादर आउ अपजतगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज' गुगा८, बादर पुढवी अपजत्तगस्त जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ९, पत्तेय सरीर बादरवणस्स काइयरस वादर निओयस्स एएसिणं अपजत्तगाणं जहणिया गाणा तुला असंखेजगुणा, १०, ११, सुहम निओयस्स पज्जत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा १२, तस्सेचेव अपजन्तगस्स उक्कोसिया ओगाहा विसेसाहिया १३, तस्स चेत्र पज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया १४, सुहुमत्राउकाइयस्स पजत्तगस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा १५, {गुनी, ७ इमसे बादर तेडकाया के अपर्याप्ताकी जघन्य अवगाहना असंख्यात मुनी, ८ इससे बादर अप्काया { के अपर्याप्ता की जघन्य अवगाहना असंख्यात गुनी, ९इस से बादर पृथ्वी काया के पर्याप्ता की जघन्य अवगाहना असंख्यात गुनी, १०-११ इस से प्रत्येक शरीरी बादर वनस्पतिकाय व बादर निगोद इन दोनों के अपर्याप्ता की जघन्य अवगाहना परस्पर तुल्य व असंख्यात गुनी, १२ इस से सूक्ष्म निगोद के पर्याप्ता की { जघन्य अवगाहना असंख्यात गुनी, १३ इस से उसही सूक्ष्म निगोद के अपर्याप्ता की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक १४ इस से उसही सूक्ष्म निगोद के पर्याप्ता की उत्कृष्ट अवगाहना विशेषाधिक १५ इस से सूक्ष्म वायु काया के पर्याप्ता की जघन्य अबमाइना असंख्यात गुनी, १६. इस से सूक्ष्म वायु
49* उन्नीसवा शतक का तीसरा उद्देशा 48+
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