Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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पंचांग विवाह पण्णत्ति (भगवती.) सूत्र 4848
अगणिकाए, णिडे-तेल्ले ॥ छारियाणं भंते पुच्छा ? गोयमा। एत्थणं दोणया भवंति तंजहा णिच्छइयणएय, वावहारियणएय, वावहारियणयस्स लुक्खाछारिया, णेच्छइ. यणयस्स पंचवण्णे जाव अट्ठफासा पणत्ता ॥ ३ ॥ परमाणुपोग्गलेणं भंते ! कइवण्णे जाव कइफासे पण्णत्ते ? गोयमा ! एगवण्णे, एगरसे, दुफासे पण्णत्ते ॥ दुपदेसिएणं भंते ! खंधे कइवण्णे पुच्छा ? गोयमा ! सिय एगवण्णे, सिय दुवणे, सिय एगगंधे, सिय दुगंधे, सिय एगरसे, सिय दुरसे, सिय दुफासे सिय तिफासे से लाल मजीठ, पाली हलदी, श्वेत शंख, सुगंधी कोष्टक, दुर्गन्धी मृत्युक शरीर, निक्तरस, निंध, कटुक मूंठ, कषायला तूरा कबीठ, अम्बट इमली, मधुर सक्कर, कर्कश स्पर्श वजू, कोमल मक्खन,भारी लोहा,हलका
चोरपत्र, शीत हिम, ऊष्ण अग्नि, चिकना तेल, रुक्ष राख यो सत्र में व्यवहार नय से एक२ ही वर्ण, गंध,.. E रस व स्पर्श पाता है और निश्चय नय से पांच वर्ण यावत् आठोंही स्पर्श पाते हैं. ॥ ३ ॥ अहो भगवन् ! ।
परमाणु पुरल में कितने वर्ण यावत् स्पर्श पाते हैं ? अहो गौतम ! परमाणु पुद्गल में एक वर्ण एक रस दे स्पर्श कहे हैं. अहां भगवन् ! द्विपदेशिक स्कंध में कितने वर्ण गंध रस व स्पर्श कहे हैं ? अहो गौतम । । क्वचित् एक वर्ण क्वचित् दो वर्ण, यदि दोनों एक वर्ण के होवे तो एक ही वर्ण, इस के पांच विकल्प |
488+- अठारहवा तक का छट्ठा उद्देशा
भावार्थ
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