Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
भावार्थ
पंचांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
कइणं भंते ! लेस्साओ पण्णत्ताओ? एवं जहा पण्णत्रणाए गब्भ मुद्देस्सो चेव णिरवसेसो भाणियव्वो॥ सेवं भंते भंतेत्ति ॥ एगूणवीस इमस्सय वितिओ उद्देसो ॥ १९ ॥ २॥ रायगिहे जाब एवं वयासी - सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच पुढवीकाइया एगयओ साधारणसरीरं बंधंति, एग २ तओ पंच्छा आहारेंतिवा परिणार्मेतिवा. सरीरंवा बंध तिवा ? णो इट्टे समट्ठे ॥ पुढवीकाइयाणं पत्तेयाहारा पत्तेय परिणामा पत्तेयं प्रथम उद्देशे में लेश्या का कथन किया. सलेशी गर्भ में उत्पन्न होते हैं. इसलिये गर्भ का प्रश्न पूछते हैं. अहो' भगवन् ! लेश्याओं कितनी कही ! अहो गौतम ! लेश्याओं छ कहीं वगैरह जैसे पन्नवणा शतक में गर्भ उद्देशा कहा वह यहां निरवशेष कहना. अहो भगवन् ! आपके वचन सत्य हैं. यह उन्नीसवा ( शतक का दूसरा उद्देशा संपूर्ण हुवा ॥ १९ ॥ २ ॥
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दूसरे उद्देशेमें गर्भकी लेश्या का कथन किया है. तीसरे उद्देशेमें उत्पन्न होनेका कथन करते हैं. इस उद्देशे की संग्रह गाथा से द्वार के नाम कहते हैं. १ सिय २ लेस्सा ३ दृष्टि ४ ज्ञान ५ जोग ६ उपयोग ७ आहार ८ प्राणातिपात ९ उत्पात १० स्थिति ११ समुद्धात १२ उव्वति इन बारह द्वार का आगे { विस्तार से वर्णन करते हैं ॥ राजगृह नगर में यावत् ऐसे बोले अहो भगवन् ! चार अथवा पांच पृथ्वीकायिक एकत्रित होकर बहुत जीवों का साधारण शरीर बांधे फीर क्या वे अहार करे, परिणमावे अथवा शरीर बांधे ? अहो गौतम ! यह अर्थ योग्य नहीं है, क्यों कि पृथ्वी
4- उन्नीसना शतक का तीसरा उद्देशा 498
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