Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
भावार्थ
अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषीजी *
पुढवीकाइए हिंतो अणंतरं उव्वहित्ता माणुसं विग्गहं लभइ, लभइत्ता केवलं बोहिं बुज्झइ, बुज्झइत्ता तओ पच्छा सिज्झइ जाव अंतंकरेइ ? हंता माकंदिय पुत्ता काउलेस्से पुढवीकाइए जाब अंतं करेइ || २ || सेणूणं भंते! काउलेस्ले आउकाइए, काउलेस्सेहिंतो आउकाइएहिंता अनंतरं उवट्टित्ता माणुसं विग्गहं लभइ, लभइत्ता केवलं बोहिं बुज्झइ जात्र अतं करेइ ? हंता माकंदिय पुत्ता ! जाव अंतं करेइ ॥ ३ ॥ से भंते! काउलेस्से वणस्सइ काइए एवंचेत्र जाव अतं करेइ सेवं भंते! भंतेति ॥
फोर क्या सीझे बुझे यावत् अंत करे ? हां माकंद्रिय पुत्र ! कापुत लेश्यावाला पृथ्वी कायिक जीव ( पृथ्वी काया में से अंतर रहित नीकलकर मनुष्य का शरीर प्राप्त करे वां सम्यक्त्व की प्राप्ति हुने पीछे सीझे बुझे यावत् अंत करे ॥ २ ॥ अहो भगवन् ! कापुत लेश्या वाला अपकायिक जीव कापुत लेश्यावाली अप्कानया में से अंतर रहित नीकलकर मनुष्य का शरीर प्राप्त करे और सम्यक्त्व की प्राप्ति करके क्या सीझे बुझे यावत् अंत करें ? हां माकंदिय पुत्र ! सीझे बुझे यावत् अंतकरे. ॥ ३ ॥ अहो भगवन् ! कापुतलेश्या वाला वनस्पति कायिक जीव अंतर रहित मनुष्य का शरीर प्राप्तकर वहां सम्यक्त्व की प्राप्ति कर पीछे क्या सीझे बुझे यावत् अंत करे ? हां माकंदिय पुत्र
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● प्रकाशक - राजाबहादुर लाला सुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी
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