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विकृतितिज्ञान की रक्तपूर्ति करता है । इसका परिणाम यह होता है कि बहुत ही थोड़े समय बाद पूय अस्थिशिर से समीप की सन्धि तक पहुँच कर सन्धि को सुजा देता है और सन्धिपाक ( arthritis) का कारण बनता है। इस अवस्था में बालक कष्ट से बहुत चिल्लाता है उसकी अस्थिसन्धि सूज जाती है तथा बालक अर्द्धमूछितावस्था में पड़ा होता है।
अनुतीव्र अस्थिशिरपाक ( subacute epiphysitis) यह अवस्था पूयजनक जीवाणुओं तथा फिरंग दोनों के द्वारा मिल सकती है। यह घोरावस्था से मिलती जुलती होती है। यह भी शिशु रोग है। इसमें क्रन्दन अधिक एवं मूर्छा कम रहती है। इसमें अस्थिशिर अस्थिदण्ड से पृथक् होता हुआ प्रायः मिलता है । ___ जीर्ण अस्थिशिरपाक (chronic epiphysitis) भी अस्थिकारी न्यष्ठीला में पूयजनक जीवाणुओं का उपसर्ग होने से ही रोग होता है इसके कारण अस्थियों की वृद्धि विषम हो जाती है। लम्बी अस्थियों में यह रोग होने से शरीर को विकृत (deformed ) कर देता है।
(२) अस्थिसन्धियों पर व्रणशोथ का परिणाम
(Inflammation of the Joints ) आयुर्वेद अस्थि, पेशी, स्नायु, सिरा इन सब की सन्धियों के सम्बन्ध में प्रकाश डालता है, परन्तु मुख्यतया उसने अस्थिसन्धि का वर्णन किया है। सन्धि शब्द जहाँ कहीं हमने व्यवहार किया है वहाँ अस्थिसन्धि ही समझना चाहिए। अस्थिसन्धि एक गुप्त अवकाश ( potential cavity ) होता है जो अस्थियों के दो सिरों के संगम स्थल पर बनता है । यह अवकाश गहराई में होता है इसके चारों ओर स्नायु ( ligaments ) लगे होते हैं जिनके ऊपर पेशी तथा कण्डराएँ देखी जाती हैं। स्नायुओं, पेशियों और कण्डराओं का प्रतान सन्धि के ऊपर इस प्रकार किया गया होता है कि सन्धिस्थल पर एक प्रकार की नियन्त्रित गति सम्भव होती है। किसी भी सन्धि पर कोई गति करनी हो वहाँ लगी कुछ पेशियाँ उसका विरोध करती हैं तथा कुछ उसकी सहायता करती हैं इस कारण एक निश्चित मर्यादा तक वह गति हो सकती है। ___ अस्थि के सिरे सन्धि के लिए निश्चित गति में भाग ले सकें इसके लिए उनका मसूण (चिकना) होना आवश्यक है उसके लिए जितना हिस्सा गतियों की दृष्टि से दूसरे हिस्से के सम्पर्क में आता है उतने हिस्से पर दोनों अस्थिशीर्षों पर एक तरुणास्थि (कास्थि) की टोपी चढ़ी होती है। यह मसृण रक्त-विरहित काचरकास्थि ( smooth avascular hyaline cartilage ) state foarte raratante ( articular cartilage ) कहते हैं। इस सन्धायीकास्थि के भाग को छोड़कर अस्थिसन्धि के अवकाश का सम्पूर्ण अन्तस्तल सन्धिश्लेष्मकला ( synovial membrane ) द्वारा आस्तरित ( lined ) होती है। यह एक प्रकार की लस्यकला ( serum membrane ) है। इस कला में से असंख्य सूक्ष्म अंकुर (villi)
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