Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगद्वारसूत्रे
अथ - उपक्रमस्य प्रमाणेति नामकं तृतीयं भेदं निरूपयतिमूलम् - से किं तं पमाणे ? पमाणे- चउत्रिहे पण्णत्ते, तं जहाGoatमाणे खेपमाणे कालप्पमाणे भावपमागे॥सू० १८७॥
छाया-अथ किं तत् प्रमाणम् ?, प्रमाणं चतुर्विधं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा - द्रव्यप्रमाणं क्षेत्रममाणं कालममाणं भावममाणम् ॥ म्रु० १८७॥
( से तं नामे ) यह सूत्रपाठ " नाम संबन्धी समस्त वक्तव्य समाप्त कर चुका है। "इस बात की पुष्टि करता है। नामेति पयं सम्मत्तं) इस प्रकार उपक्रम का द्वितीय भेद जो नाम है वह समुद्दिष्ट हो चुका ॥ सू०१८६ ॥
अब सूत्रकार उपक्रम के तृतीय भेद प्रमाण का निरूपण करते हैं"से किं तं पमाणे " - इत्यादि
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शब्दार्थ - शिष्य प्रश्न - ( से किं तं पमाणे) हे भदन्त ! उपक्रम का तृतीय भेद जो प्रमाण है, उसका स्वरूप क्या है ?
उत्तर- ( पमाणे चव्विहे पण्णत्ते) उपक्रम का तृतीय भेद जो प्रमाण है, उसका स्वरूप इस प्रकार से हैं वह प्रमाण चार प्रकार का प्रज्ञप्त हुआ है ( तं जहा ) वे चार प्रकार इस तरह से है - ( दव्वप्यमाणे, खेत्तपमाणे, कालयमाणे, भात्रप्पमाणे ) द्रव्यप्रमाण, क्षेत्रप्रमाण, काल
આ સૂત્રપાઠ આ વાતને સૂચિત કરે છે કે એક નામથી લઈને દશનામ सुधीतुं या उथन गया प्रमाणे समाप्त थयुं छे. (सेत नामे) मा
સત્રપાઠ
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નામ સંખ`ધી સંપૂર્ણ કથન પુરૂ થયુ છે' એ વાતને સ્પષ્ટ उरे छे. (नामेत्ति पयं सम्मत्तं) या प्रमाणे उपमता जीले लेह के नाम छे, ते समुद्दिष्ट थह गयेस छे. ॥सू० १८६ ।।
હવે સૂત્રકાર ઉપક્રમના તૃતીય ભેદ પ્રમાણુનુ નિરૂપણ કરે છે—— " से किं त पमाणे " इत्याहि
शब्दार्थ - शिव प्रश्न (से किं तं पमाणे) हे लहांत ! उपमना तृतीय ભે જે પ્રમાણ છે, તેનું સ્વરૂપ કેવું છે ?
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उत्तर- (पमाणे चउब्जिहे पण्णत्ते) उपमना ने तृतीय लेड प्रमाणु छे, તેનુ' સ્વરૂપ આ પ્રમાણે છે. તે પ્રમાણ ચાર પ્રકારના સ્વરૂપમાં પ્રજ્ઞપ્ત થયેલ छे. (तंजा) ते यार प्रहार भी प्रभा छे. (दुव्वप्रमाणे, खत्तप्पमाणे, कालप्पमाणे, भावप्पमाणे) द्रव्यप्रभाणु क्षेत्रप्रभाणु, असप्रमायु, भावप्रभायु, ધાન્ય