Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २०७ असुरकुमारादीनामायुःस्थितिनिरूपणम् ३११ पृच्छा, गौतम ! जघन्येनापि अन्तर्मुहूर्त्तम् , उत्कर्षेणापि अन्तर्मुहर्तम् , पर्याप्तकद्वीन्द्रियाणां जघन्येन अन्तर्मुहूर्तम् , उत्कर्षेण द्वादशसंवत्सरान् अन्तर्मुहूत्तॊनान् । त्रीन्द्रियाणां पृच्छा गौतम ! जघन्येन अन्तर्मुहूर्तम् , उत्कर्षेण एकोनपश्चाशत् रात्रिन्दिवानि । अपर्याप्तक त्रीन्द्रियाणां पृच्छा, गौतम ! जघन्येनापि अन्तर्मुहूर्तम् , उत्कर्षेणापि अन्तर्मुहूर्तम् । पर्याप्तकत्रीन्द्रियाणां पृच्छा गौतम! जघन्येन अन्तर्मुहूर्तम् , उत्कर्षेण एकोनपश्चाशत् राबिन्दिवानि अन्तर्मुहत्तौनानि । चतुरिन्द्रयाणां भदन्त ! राणि) हे गौतम ! जघन्य से तो द्वीन्द्रिय जीवो की स्थिति एक अन्तमुहूर्त की है और उस्कृष्ट से १२ वर्ष की है। (अपज्जत्तगवेइंदियाणं पुच्छा-गोयमा ! जहण्णण वि अंतोमुहत्तं उक्कोसेण वि मुहुत्तं) अपप्तिक दोइन्द्रिय जीवों की स्थिति हे गौतम ! जघन्य से भी अन्तर्मु. हूर्त की है और उस्कृष्ट से भी अन्तर्मुहर्त की है। (पज्जत्तगयेइंदियाण जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेण अंतोमुहुत्तूणाई पारस संवच्छ. राणि ) पर्याप्तक दो इन्द्रिय जीवों की स्थिति जघन्य से अंतर्मुहर्त की है और उत्कृष्ट से अन्तरमुहूर्त कम १२ वर्ष की है। (ते इंदियाण पुच्छा गोयमा ! जहन्नेण अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं एगणपण्णासं राई दियाई) ते इन्द्रिय जीवों की स्थिति हे गौतम ! जघन्य से अंतर्मुहूर्त की है और उस्कृष्ट से ४९ अहोरात्र की है। (अपज्जत्तगतेइंदियाणं पुच्छा-गोयमा ! जहण्णेण वि अंतो मुहत्तं उक्कोसेण वि अंतो मुहुत्त) अपर्याप्तक ते इन्द्रिय जीवों की स्थिति जघन्य से भी अन्तमुहर्त की और उत्कृष्ट से भी अन्तर्मुहूर्त की है। (पज्जत्तगतेइंदियाणं ગૌતમ! જઘન્યની અપેક્ષાએ તે દ્વીન્દ્રિય જીવોની સ્થિતિ એક અન્તર્મુહની छ भने यी १२ वर्ष २८क्षी छ. (अपज्जत्ताबेइंदियाण' पुच्छा-गोयमा! जहण्णेण वि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्त) अ५f४ मेन्द्रिय જીની સ્થિતિ હે ગૌતમ! જઘન્યની અપેક્ષાએ પણ અન્તર્મુહૂર્ત છે અને Gटनी मपेक्षा ५ मन्तभुत्तानी छे, (पज्जत्तगबेइंदियाण जहन्नेण अंतोमुहत्तं उक्कोसेण अंतोमुत्तूणाई बारससंवच्छराणि) पयास मेन्द्रिय જીની સ્થિતિ જઘન્યની અપેક્ષાએ અંતર્મુહૂર્ત જેટલી છે અને ઉત્કૃષ્ટથી सन्तत ४८ १२ १२८मी छे. (तेइंदियाण पुच्छा गोयमा ! जान्नेण' अंतोमुहुत्तं उक्कोण एगूणपण्णासं राइंदियाई) तेन्द्रिय वानी स्थिति ગૌતમ! જઘન્યથી અન્તર્મહત્ત્વની છે અને ઉત્કૃષ્ટની અપેક્ષાએ ૪૯ અહે. रात्र २८सी छे. (अपज्जत्तग तेइंदियाण पुच्छो गोयमा! जहण्णेण वि अंतोमुहत्तं उक्कोसेण वि अंतो मुहत्तं) सपर्या तेन्द्रिय वानी स्थिति ४५. ન્યની અપેક્ષાએ પણ અન્તર્મુદ્દત્તની છે. અને ઉત્કૃષ્ટથી પણ અંતર્મુહૂર્તની
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