Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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मनुयोगधन्द्रिका टीका सूत्र २०८ क्षेत्रपल्योपमनिरूपणम् परिमाणम् ॥१॥ एतेः सक्ष्मै क्षेत्रपल्योपमसागरोपमैः किं प्रयोजनम् ? एतैः सूक्ष्म पल्पोपमसागरोपमैः दृष्टिवादे द्रव्याणि मीयन्ते ॥ सू० २८८ ॥
टीका-से कि ते' इत्यादि
अस्य सन्दर्भस्य व्याख्या अदापल्योपमवदेन बोध्या । तथापि किंचिद् व्याख्यायते-क्षेत्रम्-आकाशं तदुदारमधानं पल्योपमं क्षेत्रपल्योपमम् । व्यावहा. रिकक्षेत्रपल्योपमे तस्य पल्यस्यान्तर्गवा ये नमःपदेशास्तै लानरास्पृष्टा:व्याप्ताः- आक्रान्ताः सन्ति । तेषां मूक्ष्मत्वात् पतिसमयमेकैकापहारे असंख्येया कोडाकोडी) इस पल्यों की दशगुणित कोटि कोटी (एगस्स सुहमस्स खेत्तसागरीवमस्म) एक सूक्ष्मक्षेत्र सागगेपम का (परिमाणं भवे) परिमाण होता है। (एएहिं सुहमेहिं खेत्तपलिओवमसागरोवमेहिं कि पोयणं ?) हे भदन्त ! इन सूक्ष्म क्षेत्र पस्योपम एवं सूक्ष्मक्षेत्र सागरोपम से क्या प्रयोजन सिद्ध होता है ? (एएहिं सुहमपलिओवमसागरोवमेहि दिदिवाए दवा मविज्जति) इन सूक्ष्मक्षेत्र पल्योपमों से एवं सूक्ष्मक्षेत्र सागरोपमों से दृष्टिवाद में द्रव्यों की गिनति की जाती है।
भावार्थ-इस सूत्र द्वारा सूत्रकार ने क्षेत्र पल्योपम का क्या स्व.. रूप है ?' यह स्पष्ट किया है। वैसे तो इस सूत्र की व्याख्या अद्धा. परयोपम जैसी ही है। परन्तु इप्त पल्योपम में क्षेत्र से आकाश लिया गया है। व्यावहारिक क्षेत्र पस्योपम से उस पल्य के अन्तर्गत जो नभाप्रदेश हैं, वे उन बालानों से व्याप्त कहे गये हैं । इनके अत्यन्त मा पत्यानी १० गुपित टी (एगस्स सुहुमस्स खेत्तसागरोवमस्स) मे सूक्ष्म क्षेत्र सागरे।५मनु परिणाम जाय छे. (एपहि सुहुमेहि खेत्तपलि. ओवमसागरोवमेहि कि पोयणं ?) BRE ! मा सूक्ष्म क्षेत्र पक्ष्यायम तमा सूक्ष्म क्षेत्र सागरो५मथी या प्रयोजनी सिद्धि थाय छ ? (एएहिं सुहमपलि पोवम सागरोबमेहि दिद्विवाए दव्या मविज्जति) मा सूक्ष्म क्षेत्र પાપોથી તેમજ સૂક્ષમ ક્ષેત્ર સાગરેપમેથી દષ્ટિવાદમાં દ્રવ્યની ગણના કરવામાં આવે છે.
ભાવાર્થ–આ સૂત્ર વડે સૂત્રકારે “ક્ષેત્રપલ્યોપમનું સ્વરૂપ કેવું છે?” આ વાત સ્પષ્ટ કરી છે. આમ તે આ સૂત્રની વ્યાખ્યા અદ્ધાપલ્યોપમ જેવી જ છે. પણ આ પાપમમાં ક્ષેત્રથી આકાશ ગ્રહણ કરવામાં આવ્યું છે. વ્યાવહારિક ક્ષેત્રપાપમમાં તે પલ્યમાં જે નભઃપ્રદેશે છે, તેઓ તે વાલાચોથી વ્યાપ્ત થયેલ કહેવામાં આવ્યા છે. તેઓ અત્યન્ત સૂક્ષમ છે. તેથી
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