Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २४८ अनुगमनामानुयोगद्वारनिरूपणम् ५ १५ कुत्र १६ केषु १७ कथं १८ कियचिरं भवति कालम् १९१ । कति २० सान्तरम् २१ अविरहितं २२ भवाः २३ आकर्षः २४ स्पर्शना २५ निरूक्तिः २६ ॥२॥ स एष उपोद्घात नियुक्त्यनुगमः ॥मू० २४८॥
टीका-'से किंत' इत्यादि
'अथ कोऽसौ अनुगमः ?' इति शिष्यप्रश्नः। उत्तरयति-अनुगमा मूत्रानु. कूलार्थकथनम् , स द्विविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-सूत्रानुगमश्च, नियुक्त्यनुगमश्च । तत्र सूत्रानुगम:-पदच्छेदरूपं सूत्रव्याख्यानम् । स च सूत्रस्पर्शकनियुक्तिव्याख्याने गतार्थत्वात् पृथर नोक्त इति । अथ कोऽसौ नियुक्त्यनुगमः ? नियुक्त्यनुगम:
अब सूत्रकार अनुगम नामका जो तीसरा अनुयोग द्वार है उसका निरूपण करते हैं--'से कि अनुगमे ?" इत्यादि ।
शब्दार्थ--(से किं तं अणुगमे ?) हे भदन्त ! पूर्व प्रक्रान्त वह अनुगम क्या है?
उत्तर--(अणुगमे दुविहे पण्णत्ते) अनुगम दो प्रकार का कहा गया है-अनुगम शब्द का अर्थ-सूत्रानुकूल अर्थ का कथन करना है, सो यह अनुगम (सुत्ताणुगमे य निज्जुत्तिअणुगमे य) खत्रानुगम और नियुक्ति-अनुगम इस प्रकार से दो प्रकार का है। इनमें पदच्छेदरूप सूनव्याख्यान-अर्थात् सूत्र का पदच्छेद करना, यह सूत्रानुगम है। यह सूत्रानुगम सूत्र को स्पर्श करनेवाली नियुक्ति के व्याख्यान में आ जाता है इसलिये यहां उसे पृथक नहीं कहा है। (से किं तं निज्जुत्ति अणुगमे १ ) हे भवन्त ! नियुक्ति अनुगम क्या है?
હવે સૂરકાર અનુગામનામક જે તૃતીય અનુગદ્વાર છે, તેનું नि३५५ ४२ छ.-ते कि त अनुगमे ? इत्यादि
शाय:--(से कि त अणुगमे) ले wr-! प्रान्त त અનુગમ શું છે?
उत्तर:--(अणुगमे दुविहे पण्णत्ते) अनुगमना मे ॥२॥ छे. मनुगम सन अर्थ सूत्रानुस अनु. ४थन ४२ छे. तो मा अनुगम (सुत्ताणुगमे य निज्जुत्ति अणुगमे य) सूत्रानुगम अने नियुठित-अनुगम मा प्रमाणे ये પ્રકારનો છે. આમાં પદ છેદરૂપ સૂત્રવ્યાખ્યાન એટલે કે સૂત્રનું પદકેદ કરવું આ સૂવાનુગામ છે. આ સૂત્રાનુગમ સૂત્રને સ્પર્શનારી નિયુકિતના વ્યાખ્યાનમાં
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