Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २४८ अनुगमनामानुयोगद्वारनिरूपणम् ८०५ छाया-क्षेत्रदिकालगति भविक संज्युच्छवास दृष्टयाहारान् ।
पर्याप्तसुप्त जन्मस्थिति वेदसंज्ञा कपायाषि ॥१॥ ज्ञानं योगोपयोगी, शरीरसंस्थानसंहननमानानि । लेश्या परिणामं वेदनां च समुद्घात कर्म च ॥२॥ निवेष्टनमुद्वर्त्तम् आस्रवकरणं तथा अलङ्कारम् ।
शयनासनस्थानस्थान् चङक्रमतश्च किं व 'सामायिकम् ॥३॥ इति । अयमर्थ:
क्षेत्रं दिशः कालं गतिं भव्यं संज्ञिनम् उच्छ्वासं दृष्टिम् आहारकं चाश्रित्य क किं सामायिकं भवतीति वक्तव्यम् । तथा-पर्याप्तमुप्तजन्मस्थिति वेदसंज्ञाकषायाऽऽयूंषि चाश्रित्य क कि सामायिक भवतीति वक्तव्यम् । तथा-ज्ञानं योगोपयोगी शरीरसंस्थानसंहननमानानि लेश्यापरिणामं वेदनां समुद्घातकर्म चाश्रित्य कि क्व ___तथा-'सामायिक कहां होता है। यह भी कहना चाहिये-इसी अर्थ को इन तीन गाथाओं द्वारा स्पष्ट किया गया है-ये गाथाएँ' खेत्तदि. सिकाल गई' इत्यादि हैं। इनका अर्थ इस प्रकार से हैं-(१) क्षेत्र, (२) दिशा, (३) काल, (४) गति, (५) भव्य, (६) संज्ञी, (७) उच्छ्वास, (८) दृष्टि, और (९) आहारक, को आश्रित करके कहां कौन सा सामायिक होता है ? यह कहना चाहिये। तथा-(१०) पर्याप्त, (११) सुस, (१२) जन्म, (१३) स्थिति, (१४) वेद, (१५) संज्ञा, (१६) कषाय, और (१७) आयु इनका आश्रय करके कहां कौन सामायिक होता है ? यह कहना चाहिये । तथा-(१८) ज्ञान, (१९) योग, (२०) उपयोग, (२१) शरीर, (२२) संस्थान, (२३) संहनन, (२४) मान, (२५) लेश्या, (२६) परिणाम, (२७) वेदना, (२९) समुद्घात कर्म
તેમજ સામાયિક કયાં હોય છે એ વિષે પણ કહેવું જોઈએ. એ જ અર્થને આ ત્રણ ગાથાઓ વડે સ્પષ્ટ કરવામાં આવેલ છે. આ ગાથાઓઃ'खेत्तदिति काल गई' या छे. माने! म मा प्रमाणे छे. (१)क्षेत्र (२) हिशा, (3) १ (४) गति, (५) अव्य, (६) सी. (७) २पास (C અને (૯) આહારકને આશ્રિત કરીને કયાં કયું સામાયિક હોય છે, આ हे नये. तेभर (१०) पात (११) सुत (१२) अन्य (13) स्थिति, (१४) ३ (१५) संज्ञा (१९) षाय भने (१७) मायु मा सना माश्रय કરીને કયાં કયું સામાયિક હોય છે? આ કહેવું જોઈએ. તથા (૧૮) જ્ઞાન, (१८) ये, (२०) ३५॥१, (२१) शरी२, (२२) संस्थान, (२3) सहनन (२४) भान, (२५) वेश्या (२६) पाराम, (२७) वना, (२८) समुद्धात
For Private And Personal Use Only