Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २२८ वसतिदृष्टान्तेन नयप्रमाणम् ६ द्विविधं प्रज्ञप्तं, तद्यथा-दक्षिणार्धभारत उत्तरार्धभारतं च तयोयोस्त्वं वससि ?, विशुद्धतरको नैगमो भगति-दक्षिणाभारते वसामि । दक्षिणार्धभारते अनेके ग्रामाकरन गरखेटकर्बटमडम्बद्रोणमुवपत्तनाश्रमसंवाहसन्निवेशाः, तेषु सर्वेषु त्वं वससि । विशुद्वतरको गमो भणति-पाटलिपुत्रे वमामि । पाटलिपुत्रे होकर उसे उत्तर दिया मैं भरतक्षेत्र में रहता हूँ । (भरहे वासे दुविहे पण्णत्ते) फिर पूछनेवालेने उससे पूछा कि भरत क्षेत्र तो दो प्रकार का कहा हुआ है । (तं जहा) जैसे (दाहिणभरहे उत्तरडभरहे य) एक दक्षिणार्धभरत और दूसरा उत्तरार्द्ध भरत । (तेसु दोसु तुवं वससि) सेो क्या तुम इन दोनों में रहते है। । (विसुद्धतराओ णेगमा भणइ ) तष विशुद्धतर नैगम की मान्यतानुसार उसने पूछनेवाले से कहा (दाहिण डमरहे वसामि) मै दक्षिणार्ध भरतक्षेत्र में रहता हूँ। (दाहिणभरहे अणेगाई गामागरणगरनिगमखेडकब्बडमबदाणमुहपट्टणासमसंवाहसन्निवेसाई) पूछनेवालेने फिर उससे पूछा कि दक्षिणार्ध भरत में अनेक ग्राम, आकर, नगर, निगम, खेट, कर्बट, मडंब, द्रोणमुख, पट्टन, आश्रम संवाह और सन्निवेश हैं। (तेसु सव्वेलु तुवं वसमि) तो क्या तुम इन सब में रहते है। । (विसुद्धतराओ णेगमा भणइ )तष विशुद्धतर नैगमनय के अभिप्रायानुसार होकर उसने कहा कि (पाडलिपुत्ते वसामि) मैं पाटलिपुत्र में रहता हूं। पूछनेवालेने फिर उससे पूछा क्षेत्रमा २ छु.. (भरहे वासे दुविहे पण्णत्ते) ५ प्रश्रता प्रश्न ये है मरतक्षेत्र में सागमा विभत थयेस छे. (तजहा) रेभ. (दाहिणभरहे उत्तरभरहे य) मेक्षिा मरत अने जात्रा भरत. (तेसु दोसु तुर्व वससि) तो शुं तमे से भन्नेमा से छ। १ (विसुद्धतराओ णेगमो भणइं) ત્યારે વિશુદ્ધતર નિગમનયાનુસાર તેણે પ્રશ્નકર્તાને જવાબ આપતાં કહ્યું(दाहिणड्डभरहे वसामि ) हु क्षिा १२तक्षेत्रमा पसु छु. (दाहिण भरहे अणे गाई गामागरणगरनिगखेमड कब्बडमंडबदोणमुहपट्टणासमसंवाहसन्निवेसाई) પ્રશ્નકર્તાએ ફરી પ્રશ્ન કર્યો કે દક્ષિણા ભરતક્ષેત્રમાં ગ્રામ, આકર, नार, नियम, , ४५ 2, मन, द्रो भुम, पट्टन, माश्रम, सपा, सन्नि देश छ. (तेसु सव्वेसु तुवं वससि) तेशुतमे सभा निवास ४२। छ। ? (विसद्धतराओ णेगमो भणइ) त्यारे विशुद्धतर नैगमनयना मनिप्रायानुसार ते वाम पायो (पाडलिपुत्ते वसामि) हु पाटलिपुत्रमा पसु छुः
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